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02 सितंबर 2011

बच्चेदानी से निकली एक फीट की लकड़ी

महासमुंद/रायपुर.नीम हकीम के चलते एक महिला की जान पर बन आई। महिला की चिंताजनक स्थिति में आपरेशन कर उसके बच्चेदानी से एक फीट लंबी लकड़ी निकाली गई।

पटेवा निवासी सुरूचि पटेल (34) पति चैतराम पटेल गर्भपात कराने पिथौरा के एक झोलाछाप डाक्टर के पास गए। तथाकथित उक्त डाक्टर ने देशी पद्धति से गर्भपात किया।

इस दौरान उसके बच्चेदानी में एक फीट लंबी व डेढ़ सेंटीमीटर लकड़ी फंस गई। कुछ दिनों बाद उसके पेट में सूजन और दर्द हुआ। अत्यधिक दर्द से बेहाल महिला को जांच के लिए 30 अगस्त को आदित्य अस्पताल महासमुंद लाया गया।

जहां डा ज्योति कालीकोटी ने पहले उसके पेट की सोनोग्राफी की। जिसमें उन्हें लगभग एक फीट लंबी कोई चीज दिखाई दी। इस संबंध में डा एचबी कालीकोटी ने बताया कि मरीज की स्थिति चिंताजनक थी। जिसे देखते हुए तुरंत बच्चेदानी में फंसी हुई चीज निकालने का फैसला लिया।


महिला की चिंताजनक स्थिति को देखते हुए चार डाक्टरों की टीम डा ज्योति कालीकोटी, एचबी कालीकोटी, निश्चेतना विशेषज्ञ डा डीएस पटेल, सर्जन डा विनोद सिंह की टीम ने आपरेशन किया।

लगभग दो घंटे तक चले आपरेशन के बाद बच्चेदानी में से एक फीट लकड़ी निकली। इससे महिला के बच्चेदानी व उसके आंत में गहरा घाव हो गया है और पेट से करीब दो लीटर पस बाहर निकाला गया। डाक्टर ज्योति कालीकोटी ने बताया कि यदि इलाज में और अधिक विलंब होता तो महिला की जान जा सकती थी।

आंत में घाव होने के कारण अलग से अस्थाई तौर पर मलद्वार बनाया गया है। घाव भरने पर दोबारा आपरेशन कर मलद्वार को प्राकृतिक स्थान पर परिवर्तित कर दिया जाएगा। इसमें करीब छह माह का समय लग सकता है। बहरहाल मरीज को अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती किया गया है। जहां चिकित्सकों द्वारा सतत देखरेख किया जा रहा है।

दस-बारह दिन पूर्व पिथौरा के एक झोलाछाप डाक्टर ने गर्भपात किया था। महासमुंद पुलिस ने महिला का बयान दर्जकर गर्भपात कराने वाले पिथौरा निवासी नलनी लाल के खिलाफ धारा 312, 313 का अपराध दर्ज किया है।

यहां से मामला पिथौरा पुलिस को ट्रांसफर कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि जिले में महासमुंद और सराईपाली में सौ बिस्तर अस्पताल के अलावा सभी ब्लाक मुख्यालयों में सामुदायिक केंद्र हैं किंतु सभी स्थानों पर चिकित्सकों को कमी की वजह से आए दिन मरीजों को निजी चिकित्सकों के अलावा झोलाछाप डाक्टरों की शरण में जाना पड़ता है।

इस तरह की घटनाएं अधिकतर सामने आती है। चिकित्सा व्यवस्था के प्रति शासन-प्रशासन को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

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