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02 सितंबर 2011

पायलीखंड में हीरों की मची लूट, दो हजार से ज्यादा ग्रामीण कैंप करके बैठे

रायपुर। जमीन में दबे हीरों की तलाश में गरियाबंद के पायलीखंड इलाके में जमकर अवैध खुदाई चल रही है। इसमें दो हजार से ज्यादा लोगों का समूह रात-दिन इस काम में लगा है। लोगों ने मदद के लिए दूरदराज के रिश्तेदारों को भी बुला लिया है।

नदी में बाढ़ की वजह से पुलिस फोर्स भी गश्त के लिए उस इलाके में नहीं जा पा रही। इसका लाभ हीरा खुदाई में लगे तस्कर उठा रहे हैं। पायलीखंड में 10 एकड़ से ज्यादा हिस्से को किंबरलाइट पाइप की वजह से रिजर्व कर दिया गया था। सुरक्षा का इंतजाम नहीं होने की वजह से लोगों ने अवैध खुदाई शुरू कर दी है।

मैनपुर-देवभोग मार्ग पर स्थित ग्राम जांगड़ा और पायलीखंड के बीच इंद्रावन नदी है। हफ्तेभर से हो रही बारिश की वजह से नदी में बाढ़ आ गई है। जुगाड़ा, जांगड़ा, कुर्रूभाठा, इंदागांव के अलावा आसपास के गांवों के लोग परिवार के सदस्यों के साथ पायलीखंड पहुंच गए हैं। कई लोगों ने तो देवभोग ब्लॉक में रहने वाले अपने रिश्तेदारों को भी बुला लिया है।

पायलीखंड के इस हिस्से में पांच से सात फीट की गहराई में हीरे मिलते रहे हैं। हालांकि अब उनकी संख्या अब पहले जैसी नहीं रही है। खुदाई के बाद निकली मिट्टी को लेकर लोग नदी में उसे सावधानी के साथ धोते हैं, ताकि उसके साथ निकलने वाले हीरे के टुकड़ों को अलग किया जा सके।

तस्करों की टोली भी इसी इलाके में कैंप करके बैठी हुई है, ताकि हीरा मिलते ही उसे खरीद लिया जाए। दिन-रात चल रही खुदाई की वजह से हीरों के प्रोटेक्टेड एरिया का पूरा जंगल ही लगभग तबाह होने स्थिति में पहुंच गया है। जड़ों के पास कई फीट गहरे गड्ढे खोद दिए जाने से पेड़ बारिश के साथ भरभराकर गिर रहे हैं।

नक्सलियों के हमले की आशंका को देखते हुए करीब दो साल पहले पुलिस ने पायलीखंड से पुलिस की सुरक्षा चौकी को हटा लिया था। मैनपुर के थानेदार भूषण एक्का का कहना है कि बाढ़ की वजह से पुलिस पार्टी पायलीखंड की तरफ नहीं जा पा रही। हीरों की अवैध खुदाई के बारे में उनका कहना है कि लोग इसे बढ़ा-चढ़ाकर बताने की कोशिश कर रहे हैं।

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