भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को गणेशोत्सव का समापन होता है और भगवान श्रीगणेश का विसर्जन किया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार श्रीगणेश का विसर्जन नदी या तालाब में किए जाने का विधान है लेकिन सिर्फ बालूरेत से निर्मित गणेश प्रतिमा का। विसर्जन के पूर्व भगवान श्रीगणेश का पूजन पहले घर पर तथा इसके बाद विसर्जन स्थल पर भी किया जाता है। इसकी विधि इस प्रकार है-
विधि
विसर्जन से पूर्व स्थापित गणेश प्रतिमा का संकल्प मंत्र के बाद षोड़शोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। मंत्र बोलते हुए 21 दुर्वा-दल चढ़ाएं। 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाएं और 5 ब्राह्मïण को प्रदान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें। पूजन के समय यह मंत्र बोलें-
ऊँ गं गणपतये नम:
दुर्वा-दल चढ़ाते समय यह मंत्र बोलें
गणेशजी को 21 दुर्वादल चढ़ाई जाती है। दो दुर्वा-दल नीचे लिखे नाममंत्रों के साथ चढ़ाएं।
ऊँ गणाधिपाय नम:
ऊँ उमापुत्राय नम:
ऊँ विघ्ननाशनाय नम:
ऊँ विनायकाय नम:
ऊँ ईशपुत्राय नम:
ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:
ऊँ एकदन्ताय नम:
ऊँ इभवक्त्राय नम:
ऊँ मूषकवाहनाय नम:
ऊँ कुमारगुरवे नम:
इसके बाद श्रीगणेश की आरती उतारें और विसर्जन स्थल पर ले जाकर पुन: एक बार आरती करें व गणेश प्रतिमा जल में विसर्जित कर दें और यह मंत्र बोलें-
यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम् ।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च ॥
यदि नदी या तालाब से थोड़ा जल लेकर गणेश प्रतिमा पर चढ़ा दिया जाए तो यह भी विधिवत विसर्जन ही माना जाएगा, ऐसा धर्म ग्रंथों में उल्लेख है।
विसर्जन के शुभ मुहूर्त
सुबह 07:50 से 09:20 बजे तक- चल
सुबह 10:50 से दोपहर 12:20 बजे तक- अमृत
दोपहर 01:50 से 03:20 बजे तक- शुभ
शाम 06:20 से 07:50 बजे तक- शुभ
राहुकाल- शाम 04:30 से 06:00 बजे तक।
राहुकाल को शुभ कामों के लिए निषेध माना जाता है इसलिए इस समय में शुभ काम करना माना है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
10 सितंबर 2011
श्रीगणेश विसर्जन: पूजन विधि व शुभ मुहूर्त
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