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10 सितंबर 2011

चूहे को ही अपना वाहन क्यों बनाया श्रीगणेश ने?


मूषक (चूहा) भगवान गणेश का वाहन है। गणेश का स्वरूप जितना विचित्र है उतना ही अजीब उनका वाहन है। शिवपुराण में प्रसंग आता है कि गणेश ने मूषक पर सवार होकर ही अपने माता-पिता की परिक्रमा की। कहां विशालकाय गणेश और कहां चूहे का छोटा-सा शरीर, कहीं कोई तालमेल ही नहीं। पुराण कहते हैं-

मूषकोत्तममारुह्यï देवासुरमहाहवे।

योद्धुकामं महाबाहुं वन्देऽहं गणनायकम्॥

पद्मपुराण, सृष्टिखंड 66/4

भावार्थ- उत्तम मूषक पर विराजमान देव-असुरों में श्रेष्ठ तथा युद्ध में महाबलशाली गणों के अधिपति श्रीगणेश को प्रणाम है।

भगवान गणेश के वाहन मूषक के बारे में कई प्राचीन कथाएं प्रचलित हैं। उसी के अनुसार गजमुखासुर नामक दैत्य ने अपने बाहुबल से देवताओं को बहुत परेशान कर दिया। सभी देवता एकत्रित होकर भगवान गणेश के पास पहुंचे। तब भगवान श्रीगणेश ने उन्हें गजमुखासुर से मुक्ति दिलाने का भरोसा दिलाया। तब श्रीगणेश का गजमुखासुर दैत्य से भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध में श्रीगणेश का एक दांत टूट गया। तब क्रोधित होकर श्रीगणेश ने टूटे दांत से गजमुखासुर पर ऐसा प्रहार किया कि वह घबराकर चूहा बनकर भागा लेकिन गणेशजी ने उसे पकड़ लिया। मृत्यु के भय से वह क्षमायाचना करने लगा। तब श्रीगणेश ने मूषक रूप में ही उसे अपना वाहन बना लिया।

2 टिप्‍पणियां:

  1. आध्यात्मिक रूप से श्री गणेश 'शुभ' का प्रतीक हैं.जब हम 'शुभ'
    का आवाहन करते हैं तो हमारी समस्त इन्द्रियां,मन,और बुद्धि सजग और सचेत हो जानी चाहियें.गणेश जी के हाथी जैसे बड़े कान,लंबी सूंड,आदि इन्हीं बातों का परिचायक हैं.
    चूहा हमारी साधारण तर्क-कुतर्क करने वाली बुद्धि का प्रतीक है.
    जैसे की चूहे की आदत भी बात बिना बात कुतरने की होती है.
    यदि इस चूहे रुपी बुद्धि पर 'शुभ' रुपी गणेश को बैठा दिया जाये,अर्थात बुद्धि सैदेव 'शुभ' का ही चिंतन करे,तो गणेश का वाहन हो सकारात्मकता का पोषण करती है.

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

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  2. टूटे इक दांत से गणेशजी ने,
    'गज' को 'मूषक' बना दिया था कभी,
    उसी 'बाप्पा' को अब तो 'हम लोगा' ,
    क्यों 'विदूषक'* बना रहे है अभी !

    *हर कोई अपनी मन-पसंद आकृति में, बल्कि कार्टून की शक्ल तक में प्रदर्शित कर रहा है?
    http://aatm-manthan.com

    जवाब देंहटाएं

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