वॉशिंगटन. अमेरिका की माली हालत इतनी खराब हो गई है कि जनता के बाद अब सरकार भी अपनी परिसंपत्तियां बेच कर नकदी जुटाने की योजना बना रही है। अमेरिकी जनता तो पैसों की तंगी से बचने के लिए इस्तेमाल में नहीं आ रहा सामान बेच ही रही थी, अब ओबामा प्रशासन ने सरकार को भी इसी रास्ते पर चलने का प्रस्ताव दिया है।
आइसलैंड, कोर्टहाउस, एयरस्ट्रिप, बेकार या कम इस्तेमाल होने वाले वाहन, सड़क, इमारतें, जमीन और यहां तक कि टीवी प्रसारण के लिए वायु तरंगें तक बेचने का प्रस्ताव है। प्लम आइसलैंड, लॉन्ग आइसलैंड, संघीय एनिमल डिजीज सेंटर की पुरानी इमारत आदि उन परिसंपत्तियों की सूची में शामिल है, जिन्हें बेचा जाना है।
अमेरिका के सबसे बड़े बैंक ‘बैंक ऑफ अमेरिका’ ने कहा है कि वह डेबिट कार्ड से खरीदारी करने पर उपभोक्ताओं पर पांच डालर प्रति माह का शुल्क लगाने पर विचार कर रहा है। इससे पहले भी बैंक ने अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए कई नए चार्ज लगाए हैं।
ह्वाइट हाउस का अनुमान है कि वह अगले दशक तक इस तरह 22 अरब डॉलर की रकम जुटा लेगा। चार अरब डॉलर की राशि इमारतों और संपत्तियों को बेचने से हासिल होगी। पेंटागन और पोस्टल सेवा ने इमारतें बेच दी हैं और नकद जमा भी कर लिया है। 350 सैन्य ठिकानों को बेचने से पिछले 20 वर्षों के दौरान 1.5 अरब डॉलर जुटाए गए हैं।
‘ढाई करोड़ बेरोजगार’
अमेरिकी सरकार की ओर से गुरुवार को जारी ताजा आंकड़ों से साफ है कि अमेरिका की आर्थिक हालत खस्ता है और विकास दर इतनी कमजोर है कि 1 करोड़ 40 लाख बेरोजगारों की मदद कर सके। बीते अगस्त में अमेरिका में बेरोजगारों की जितनी तादाद थी उसमें 40 फीसदी से अधिक पिछले छह महीने से बेरोजगार थे जबकि करीब एक तिहाई को पिछले सालभर से रोजी-रोटी के लाले पड़े हैं। अमेरिका में बहुतेरे ऐसे भी हैं जिन्होंने काम की तलाश छोड़ दी है। यदि इन्हें भी जोड़ लिया जाए तो अमेरिका में कुल बेरोजगारों की तादाद करीब ढाई करोड़ तक पहुंच जाती है।
उधर, कर्ज संकट से जूझ रहे यूरोप के लिए अच्छी खबर है। जर्मनी की संसद ने भारी बहुमत से यूरो बचाव पैकेज को मंजूरी दे दी है। चांसलर अंगेला मर्केल के सत्ताधारी मोर्चे ने भी सरकार की यूरो संकट से निबटने की नीति का अनुमोदन कर दिया है। यूरो बचाव पैकेज बिल में बेल आउट पैकेज में जर्मनी की गारंटी को 123 अरब यूरो से बढ़ाकर 211 अरब यूरो करने का प्रावधान है। इस बिल के पास हो जाने के बाद अब जर्मनी केंद्र सरकार के बजट के दो तिहाई हिस्से से कर्ज में डूबे देशों को नए कर्ज की गारंटी देगा।
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