आपका-अख्तर खान

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16 सितंबर 2011

अब देश आपसे नहीं संभलता है तो उठो गद्दी छोडो

ऐ मनमोहन तुम्हारे आगे जी लगाऊं या नहीं कुछ समझ में नहीं आता लेकिन में तो इस महान भारत का निवासी हूँ अपने संस्कार नहीं भूल सकता इसलियें आपके नाम के आगे जी लगाना तो मेरी मजबूरी है आपसे एक दरख्वास्त है बहुत हो लिया ..बहुत कर लिया ..अब देश आपसे नहीं संभलता है तो उठो गद्दी छोडो और देश को हमारे हवाले करो हम चलाएंगे इस देश को ..................आप देख लेना न पेट्रोल बढ़ेगा .न भुखमरी होगी न भ्रष्टाचार होगा .न बेईमानी होगी न हिंसा न साम्प्रदायिकता और ना ही सीमा पर आतंकवाद होगा ..मनमोहन जी आपने इस देश को जितना लूटना लुटवाना था लूट लिया अब तो बस करो यार हमारे देश के अर्थशास्त्र के बच्चे आपका अर्थशास्त्र देख कर अर्थशास्त्र से नफरत करने लगे हैं वोह कहते हैं के अगर देश के सुख चेन को बर्बाद करने वाला अर्थशास्त्र चलाना है तो हमे ऐसा अर्थ शास्त्र नहीं चाहिए ....ऐ मनमोहन जी जरा सोचो अरे नहीं रिमोट चलेगा तब तो अप सोचेंगे इसलियें सोचों मत गद्दी छोडो देश के हवाले हमारे हवाले सत्ता दे दो ...........आप का कोनसा अर्थशास्त्र है के घर में नहीं है खाने को अम्मा चली भुनाने को ..आप जानते हैं देश में खाने को नहीं है बजट गडबडा रहा है ..आवश्यक वस्तुओं की खरीद महंगी हो गयी है और इस पर सब्सिडी खत्म अरे मनमोहन जी देश का रुपया देश में लगाओ देश के लोगों को लूट कर आप विदेश में रुपया बांटने क्यूँ जाते हों क्यूँ अफगानिस्तान ..अमेरिका और दुसरे देशों को अरबों खरबों रूपये की मदद दे रहे हो नहीं चाहिए हमें दुसरे देशों से खरीदी गयी मदद हमे तो हमारे देश में एकता भाईचारा सद्भावना सुकून अमन और प्यार चहिये दो वक्त की रोटी प्यार से चाहिए जो आप नहीं दे सकते केवल हम खुद ही दे सकते हैं आपकी ममता आपकी समता तो आपसे मिली हुई हैं वोह तो आपको हटाएँगी नहीं समर्थन भी देंगी और जनता को बेवकूफ बनाने के लियें आपके खिलाफ सुनारी लड़ाई भी लड़ेंगी इसलियें जाओ गद्दी छोडो कमसे कम एक काम तो देश की सुख शांति और अमन के लियें कर दो यार .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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