कोटा.सोमवार से प्रदेशभर में शुरू की गई जननी सुरक्षा योजना में प्रसूताओं को अस्पताल तक लाने तथा बाद में जच्चा-बच्चा को घर तक पहुंचाने के लिए वाहन की व्यवस्था अस्पताल प्रशासन को करनी है।
प्रसूता और नवजात की दवाओं का खर्च भी अस्पताल के ऊपर ही है। इसके बावजूद अभी कई अस्पताल वाहन की सुविधा उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। फोन करने पर पहला जवाब होता है 108 को (एंबुलेंस) को फोन करो। अस्पतालकर्मी वाहन की सुविधा मांगने वालों को किसी न किसी बहाने से टालने की कोशिश करते हैं।
कैसे भी आ जाओ..
कैथून अस्पताल में टेलीफोन नंबर 2844954 पर दोपहर 1 बजे कॉल किया तो वहां जवाब मिला एंबुलेंस नहीं है, 108 पर कॉल करो। वह नहीं आती है तो किराए के वाहन से प्रसूता को ले आओ, किराया दिला देंगे। कुछ नहीं मिले तो बैलगाड़ी से ले आओ। इसी अस्पताल से इस योजना की शुरुआत कल ही हुई थी।
टेलीफोन नहीं उठाया
दोपहर 12.20 बजे : रामगंजमंडी अस्पताल, नंबर 07459-223650 पर कॉल किया। घंटी बजती रही किसी ने अटेंड नहीं किया। प्रभारी राजीव लोचन सक्सेना को मोबाइल 9414312176 पर कॉल किया, स्विच ऑफ था।
108 पर कॉल करो
दोपहर 12.40 : सांगोद डिस्पेंसरी, नंबर 07450-233297 पर कॉल किया तो यहां भी किसी ने टेलीफोन नहीं उठाया।
इस पर प्रभारी डॉक्टर शंकर पुरुषवानी से मोबाइल 94141 80324 पर संपर्क किया। उन्होंने भी 108 बुलाने की बात कहकर जिम्मेदारी पूरी कर ली। उनसे जब विनोद खुर्द गांव से एक प्रसूता को अस्पताल पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस की मांग तो वे छूटते ही बोले -क्यों सरकारी एम्बुलेंस के चक्कर में पड़ रहे हो, सीधे 108 को फोन करो। जब उनसे अस्पताल में किसी के टेलीफोन नहीं उठाने व अस्पताल की ही एंबुलेंस की मांग की तो वे बोले, टेलीफोन भी खराब है और एंबुलेंस भी खराब पड़ी है। हां यदि 108 नहीं आती तो बताना दूसरी व्यवस्था करेंगे।
108 पर कॉल करो
दोपहर 12.40 पर जब सांगोद डिस्पेंसरी के टेलीफोन नंबर 07450-233297 पर कॉल किया तो यहां भी किसी ने टेलीफोन नहीं उठाया। इस पर प्रभारी डॉक्टर शंकर पुरुषवानी से मोबाइल 94141 80324 पर संपर्क किया। उन्होंने भी 108 बुलाने की बात कहकर जिम्मेदारी पूरी कर ली।
उनसे जब विनोद खुर्द गांव से एक प्रसूता को अस्पताल पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस की मांग तो वे छूटते ही बोले -क्यों सरकारी एम्बुलेंस के चक्कर में पड़ रहे हो, सीधे 108 को फोन करो। जब उनसे अस्पताल में किसी के टेलीफोन नहीं उठाने व अस्पताल की ही एंबुलेंस की मांग की तो वे बोले, टेलीफोन भी खराब है और एंबुलेंस भी खराब पड़ी है। हां यदि 108 नहीं आती तो बताना दूसरी व्यवस्था करेंगे।
नहीं मिला इलाज, प्रसूता की मौत
जननी सुरक्षा कार्यक्रम की जागरुकता के बावजूद एक प्रसूता की इलाज के अभाव में मौत हो गई। वह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता थी। उसे आठ माह का गर्भ था। उसे अपने इलाके में ही इलाज नहीं मिल सका। उसमें हीमोग्लोबिन की भारी कमी व हाइपरटेंशन होने से कोटा रैफर किया गया था।उसका आठवां प्रसव होने जा रहा था।जिन हालात में उसकी मौत हुई, पूरी व्यवस्था पर गंभीर सवाल पैदा करते हैं।
लाडपुर गांव की रहने वाली रुक्मणी (35) पत्नी श्यामकिशोर सेन को सुबह तेज पेट दर्द हुआ। इस पर परिजन उसे सुवांसा के स्वास्थ्य केन्द्र लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सा प्रभारी व एएनएम ने उसकी जांच कर उसमें हीमोग्लोबिन की भारी कमी व उसे हाइपरटेंशन होने से कोटा रैफर कर दिया। उसके छह पुत्रियां हैं। सुवांसा के प्रभारी डॉ. अनिल जांगिड़ ने बताया कि रुक्मणी को अस्पताल में बेहोशी की हालत में लाया गया था। उसका बीपी काफी ज्यादा था। साथ ही उसे दौरे आ रहे थे, इसलिए उसे तुरंत प्राथमिक उपचार के बाद कोटा रैफर कर दिया था।
यह है आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का काम
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का काम ही समय-समय पर अपने क्षेत्र में प्रसूताओं के हीमोग्लोबिन की जांच करना, इसकी मात्रा सही रखने के लिए उन्हें आयरन की गोलियां-कंडोम वितरित करना, अस्पतालों में प्रसव के लिए प्रसूताओं को लेकर आना आदि होता है। सरकार की ओर से इन्हें इन कार्यो के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसके बावजूद रुक्मणी में ही हिमोग्लोबिन की भारी कमी होना, उसका आठवीं बार गर्भवती होना आदि पूरी व्यवस्था पर गंभीर सवाल पैदा करते हैं।
hamare desh ki yeh hi badkismati hai neta kanoon to banva dete hai per unka labh janta taq nahi ja pata hai.........
जवाब देंहटाएं