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15 सितंबर 2011

अन्ना की टोपी नहीं यहां चलेगी सिर्फ लेन-देन


कोटा। अन्ना के आंदोलन से देशभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ माहौल जरूर बना, लोग जागरूक भी हुए लेकिन भ्रष्टाचार का स्वाद चख चुके कर्मचारी-अधिकारियों में अभी डर नहीं बैठा। वे खुले तौर पर आम आदमी से रुपए मांगते हैं। कोटा आरटीओ ऑफिस की स्थिति तो यह है कि यहां बिना रुपए लिए कोई काम ही नहीं होता। इस बात का खुलासा हुआ गुरुवार को आरटीओ में किए भास्कर के स्टिंग ऑपरेशन में।


रिपोर्टर ने जब पुलिस थानों में कई महीनों से खड़े वाहनों के बारे में जानने की कोशिश की तो पुलिस का कहना था कि आरटीओ से उनके मालिक का पता लेने में ही महीनों का समय लग जाता है। रिपोर्टर वहीं खड़ी कुछ मोटर साइकिलों के नंबर नोट कर इसकी सचाई जानने आरटीओ पहुंचा तो उसे खाली हाथ 100 रुपए प्रति वाहन के शुल्क और लंबी प्रक्रिया बताकर टाल दिया। साथ ही कहा कि आधे रुपए दो तो काम हाथों हाथ हो जाएगा।


खुल्लम-खुल्ला लेन-देन


रूम नंबर 26 में शाम को एक के बाद एक कई दलाल आते रहे। किसी ने 30 तो किसी ने 100 रुपए दिए। जानकारों के अनुसार यह कोई नया काम नहीं है यहां के लिए। हर दिन ऐसा ही होता है और जो व्यक्ति नियम-कानून की बात करता है उसे धक्के खाने पड़ते हैं। थक हार कर लोगों को दलालों के मार्फत काम करवाना पड़ता है। सीधे भी अगर कोई किसी बाबू के पास पहुंच जाए तो बगैर रुपए दिए फाइल आगे नहीं खिसकती। लाइसेंस बनवाने के लिए भी 360 रुपए की रशीद कटती है लेकिन लाइसेंस के लिए लोगों को 700 से 1200 रुपए तक देने पड़ रहे हैं। बस-ट्रक की फिटनेस के लिए वैसे तो 500 रुपए की ग्रीन टैक्स व 500 रुपए की रसीद कटती है लेकिन इस काम के लिए 1500 रुपए खर्च करने पड़ते हैं।


..लोकपाल-वोकपाल सब फालतू बातें


आरटीओ बाबू अरुण सोरल ने अपने कक्ष में निजी तौर पर एक लड़का भी काम पर रखा है। रुपए मिलते ही सोरल ने कहा लड़के, छोड़ दो सारे काम। पहले इन भैय्याजी का काम करो। लड़का फाइलें ढूंढ़कर टेबल पर रखता और सोरल पता देखकर एक कागज पर नोट करते। इसी दौरान रिपोर्टर ने देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ चली अन्ना मुहिम की बात छेड़ी तो सोरल ठहाके लगाकर हंस पड़े। बोले- कुछ नहीं बदलने वाला इस देश में। सब कुछ लेन-देन से ही चलता है। अब देखो में ले रहा हूं कौन रोकेगा। क्या अन्ना की टोपी आएगी यहां रोकने।


रिपोर्टर ने इनके पते निकलवाए


आरजे-20 7 एम- 4617, इरशाद अली पुत्र अनवर अली, मकान नंबर 581 राधा विलास पाटनपोल कोटा, 31-7-2001 से नाम है, चेसिस नंबर 131513, इंजन नंबर 178903,आरजे 20-3 एम-4097 राजदूत मोटर साइकिल, प्रभुलाल मीणा पुत्र चौथ मल मीणा किराएदार देवकरण नागर तलवंडी, पता अधूरा है।


चेसिस नंबर 1249582, इंजन नंबर 1249582
आरजे 20-1 एम-6678 बाइक, उमर खान पुत्र शेर खान, चमन होटल के पीछे, (बाकी दो की फाइल शाम को नहीं मिली, शुक्रवार सुबह देने को कहा है)


इसलिए करना पड़ा स्टिंग


शहर के थानों में सैकड़ों की संख्या में बेनाम वाहन खड़े हैं और पुलिस उनके मालिकों तक नहीं पहुंच पाती। सरकारी प्रक्रिया इतनी लंबी है महीनों तक आरटीओ के बाबू पुलिस को भी नंबर नहीं देते। हालांकि पुलिस को भी इसकी कोई जल्दबाजी नहीं होती। ऐसे में केस में उलझे वाहन मालिक आरटीओ से पुलिस के चक्कर काटते रहते हैं। जो काम महीनों में नहीं होता आरटीओ के कर्मचारी रुपए लेकिन मिनटों में कर देते हैं। भास्कर रिपोर्टर ने बुधवार को ही आरटीओ जाकर पांच बाइक के नंबर जानने की कोशिश की थी। ये सभी बाइक किशोरपुरा, दादाबाड़ीऔर जवाहर नगर पुलिस थाने में खड़ी हैं।

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