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09 सितंबर 2011

थम गई शिक्षा सुधारों की रफ्तार, एजेंडा रह गया धरा

नई दिल्ली. मानसून सत्र में शिक्षा सुधारों की रफ्तार फिर थमी रह गई। शिक्षा से जुड़े करीब एक दर्जन विधेयक कतार में ही रह गए। नीतिगत मसलों से जुड़े विधेयक तो सदन में आए ही नहीं। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, आई आईआईटी सहित कुछ विधेयकों को मानव संसाधन मंत्री छात्रों के भविष्य का वास्ता देकर आगे बढ़ाना चाहते थे, उन पर भी सांसदों का दिल नहीं पसीजा।

दरअसल मंत्रिमंडल फेरबदल के बाद जब सिब्बल मनमोहन कैबिनेट में मजबूत बनकर उभरे थे तो शिक्षा सुधारों को लेकर उम्मीद बंधी थी। लेकिन अन्ना प्रकरण के बाद वे एक बार फिर पटरी से उतरते नजर आए। सिब्बल को उम्मीद थी कि अगर मानसून सत्र में उनके शिक्षा सुधार का एजेंडा आगे बढ़ा तो उनकी छवि फिर से मजबूत होगी।

मंत्रालय के कुछ विधेयक सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का हिस्सा बनाकर सत्ता पक्ष के तरकश में रखे गए थे। प्रॉहिबिटेशन ऑफ अनफेयर प्रेक्टिसेज इन एजुकेशन विधेयक इनमें से एक था। इस पर संसद की स्थाई समिति की रिपोर्ट आ चुकी है,फिर इस सत्र में बात नहीं बनी। एजुकेशन ट्रिब्यूनल बिल सिब्बल के लिए प्रतिष्ठा का सवाल था।

संसदीय समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद इस विधेयक को मानसून सत्र में पारित कराने को लेकर सरकार आश्वस्त थी। राज्यसभा में कई बार यह विधेयक एजेंडे पर आया,लेकिन इस पर चर्चा तक नहीं कराई जा सकी। यह विधेयक पिछले सत्र में कांग्रेस सांसद केशव राव के तीखे विरोध के चलते अटका था। नेशनल एक्रिडिएशन रेगुलेटरी अथारिटी फॉर हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन बिल के लिए भी अब शीतकालीन सत्र का इंतजार करना होगा।

एक से निकले तो दूसरे में अटके

एनआईटी अमेंडमेंट बिल और आई आईआईटी कांचीपुरम लोकसभा में पास हुआ तो राज्यसभा में इन पर मुहर नहीं लग पाई। कांचीपुरम के लिए तो अब सरकार को आर्डिनेंस लाने को मजबूर होना पड़ेगा। सरकार इस संस्थान को तीन साल से कोई दर्जा नहीं दे पाई है जिससे छात्रों को डिग्री भी नहीं दी जा सकती। पहले इसे डीम्ड बनाने का प्रयास हुआ लेकिन नियम बदलने की वजह से मामला अटक गया। फिर इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इम्पॉर्टेंस बनाने की कोशिश हुई तो मामला कानूनी पेंच में उलझा है।

सेंट्रल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन,रिजर्वेशन इन एडमिशन,संशोधन विधेयक,आर्किटेक्ट संशोधन विधेयक भी कतार से आगे नहीं बढ़े। एनसीएचईआर बिल,इनोवेशन युनिवर्सिटी बिल को भी पारित कराने की योजना बनाई गई थी। लेकिन इसे एजेंडे में भी नहीं लाया जा सका। फारेन यूनिवर्सिटी बिल को लेकर खुद प्रधानमंत्री की रुचि जाहिर है लेकिन इसके लिए भी इंतजार ही हाथ आया।

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