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28 सितंबर 2011

न लिख सकते हैं, न चल सकते हैं, लेकिन हौसले की सड़क पर सरपट दौड़ा

रांची।मधुकम में रहने वाले 27 वर्षीय अभिषेक कुमार झा न लिख सकते हैं, न चल सकते हैं। उनके इशारे ही उनकी जबान हैं। हम आप सा वह बोल भी नहीं सकते। ऐसा किसी हादसे की वजह से नहीं हुआ। लेकिन जन्मजात मिली अशक्तता ही उनके लिए प्रेरणा बन गई।

हौसले नाम की सड़क पर अब वह सरपट दौड़ लगाते हैं। अभिषेक ने मास्टर इन कंप्यूटर अप्लीकेशन की पढ़ाई पूरी कर ली है। इससे पहले उन्होंने जिला स्कूल से फस्र्ट डिवीजन से मैट्रिक पास किया। फिर वहीं से साइंस से इंटरमीडिएट किया। मारवाड़ी कॉलेज से अभिषेक ने फस्र्ट डिवीजन में बीएससी इन इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी किया। अब इस नौजवान की उत्कंठा पीएचडी करने की है।

रिक्शा वाला कक्षा में पहुंचाता था

उनकी मां सरोज झा कहती हैं कि बेटा की कामयाबी ही उनका मकसद है। अभिषेक रिक्शे से स्कूल जाते,तो मां साथ होतीं। कक्षा तक जाने में रिक्शावाला मदद कर दिया करता। अभिषेक मारवाड़ी कॉलेज पहुंचे। कक्षा तीसरे माले पर थी।

मां को छोड़नी पड़ी नौकरी

सरोज के चेहरे पर बेटे के आत्मविश्वास की चमक आ गई। कहा, तब ऊपर नीचे करने में काफी तकलीफ होती थी। लेकिन अभिषेक के विश्वास के आगे हर मुश्किलें नतमस्तक हो जाती हैं। सरोज को सरकारी नौकरी छोड़नी पड़ी। पहले बिहार में शिक्षक थीं। अभिषेक के पिता मृत्युंजय झा भी शिक्षक हैं।

राइटर की समस्या के बाद भी पाई कामयाबी : परीक्षा के दिनों में अभिषेक के सामने राइटर की समस्या रहती है। उनकी बातों को आम व्यक्ति जल्दी समझ नहीं पाता। फिलहाल वे बैंक में विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।

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