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12 सितंबर 2011

आडवाणी पर अन्‍ना का निशाना- जहां लोग भूख से मर रहे, वहां रथयात्रा क्‍यों?

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रालेगण सिद्धी.अन्ना हजारे मानते हैं कि जिस देश में लोग भूख से मर रहे हैं वहां रथयात्रा का कोई औचित्य नहीं है। अन्ना हजारे ने हिंदी को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया और कहा कि हिंदी के विपरीत बोलना राजनेताओं के दंभ को दिखाता है। अन्ना ने यह भी स्पष्ट किया कि वो अपना कोई संगठन खड़ा नहीं करेंगे और आगे पूरा आंदोलन स्वयंसेवक ही चलाएंगे।

पेश है अन्ना से खास बातचीत-

आडवाणी जी की रथयात्रा और आपकी यात्रा साथ-साथ शुरु हो रही है, इसे किस रूप में देखा जाए?
रथयात्रा हमारे लिए नहीं है। ये रथयात्रा है क्या? जिस देश में गरीब लोगों के पास खाने के लिए नहीं है वहां रथयात्रा का क्या औचित्य। हम पद यात्रा को मान सकते हैं। पदयात्रा गांधीजी की नीति थी। गांधीजी मानते थे कि पदयात्रा से सामाजिक चेतना जागती है। हम पदयात्रा में विश्वास रखते हैं रथयात्रा में नहीं।

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राजनीति हो रही है। इससे पार्टियां राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है। आपको क्या लगता है?
देश अब जाग गया है। कोई भी पार्टी अब लोगों को गुमराह नहीं कर सकती। मेरा विश्वास है कि अब भारत के लोग आसानी से गुमराह नहीं होंगे।

60 प्रतिशत भ्रष्टाचार तो लोकपाल मिटा देगा। बाकी कैसे मिटेगा?

सिर्फ लोकपाल लाना ही इस आंदोलन का उद्देश्य नहीं है। अभी लोकपाल केंद्रबिंदु में हैं लेकिन यह लड़ाई की शुरुआत भर है। आगे हम भूमि अधिग्रहण बिल और अन्य जरूरी मुद्दों को लेकर भी आंदोलन करेंगे। चुनाव सुधारों के जरिए सच्चे लोकतंत्र की स्थापना कर भ्रष्टाचार से पूरी तरह निपटा जा सकता है।

क्या आप अपना संगठन खड़ा करेंगे। आगे आंदोलन किस आधार पर चलेगा?

मैं लंबे समय से भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहा हूं। महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार विरोधी संगठन में दो बार बर्खास्त कर चुका हूं। कुछ लोग ऐसे भी जुड़ जाते हैं जो संगठन के नाम पर गलत काम करते हैं। हर राज्य में जो स्वयंसेवक खड़े होंगे वो ही सही काम करेंगे। आंदोलन के समय देश की जनता खडी़ हो गई। इसमें कोई संगठन नहीं था। उनका उद्देश्य भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण करना था। प्रत्येक राज्य में स्वयंसेवक खड़े करना हमारी रणनीति है।

कुछ स्वयंसेवक चरित्रहीन भी होते हैं, इनसे कैसे निपटा जाएगा?
हम किसी भी कार्यकर्ता पर मुहर नहीं लगाते हैं। जो स्वयंसेवक है वो बिना किसी मुहर के ही हमारे साथ काम करेगा। अब हम अपने साथ जोड़ने से पहले लोगों के चरित्र की भी जांच करेंगे। हमारी टीम इस बात की पूरी परख करेगी की जो लोग हमारे साथ जुड़ रहे हैं उनका ट्रैक रिकार्ड कैसा है।

आतंकवाद पर आपकी राय क्या है?

आतंकवाद क्यों बढ़ा है इसकी जड़ में भी जाना चाहिए। अभी सरकार जो बर्ताव कर रही है उसकी वजह से आतंकवाद बढ़ा है। सरकार लाठी चलाकर किसानों की जमीन ले रही है। यह लोकशाही नहीं है यह हुक्मशाही है। हुक्मशाही से ही आतंकवाद पनपता है। जब सरकार क्षेत्रीय समस्याओं पर ध्यान नहीं देती तो आतंकवाद पनप जाता है। भारत सरकार को लगता है कि हम मालिक है इस देश के। मालिक बनकर चले हैं इसलिए ही भ्रष्टाचार पनप रहा है। सेवक बनकर चलते तो आतंकवाद पनपता ही नहीं। देश में जनता का खड़ा होने आने वाले समय में सभी समस्याओं के लिए रास्ते खोलेगे। यह आशा की किरण है?

आप मूलतः मराठी भाषी है, हिंदी को आप किस रूप में देखते हैं ?

हिंदी आना जरूरी है। मुझे दुख होता है कि हमारे देश के कई मंत्रियों को अभी तक हिंदी नहीं आती है। हिंदी हमारी राजभाषा है सबको यह आनी ही चाहिए। हम अपने प्रदेश में मराठी बोलते हैं लेकिन यूपी जाए तो वहां मराठी काम नहीं आएगी। हमारे हर क्षेत्र की अपनी भाषा है लेकिन भारत में सभी को हिंदी जरूर सीखनी चाहिए। मैं तो यह भी कहता हूं कि विश्व से मुकाबला करने के लिए अंग्रेजी भी जरूर सीखनी चाहिए। हां इस बात का जरूर ध्यान रखा जाना चाहिए कि अंग्रेजी संस्कृति हममे न घुस पाए। हमें अंग्रेजी को भी स्वीकार्यता देनी चाहिए लेकिन अंग्रेजी संस्कृति को किसी भी रूप में नहीं। मैं विदेश जाता हूं तो मुझे भी दुख होता है कि मुझे अंग्रेजी नहीं आती।

देश को जोड़ने के लिए हिंदी का जो उपयोग होना चाहिए क्या वो हो रहा है? कुछ नेता हिंदी को लेकर विपरीत बोलते हैं इस पर आपका क्या कहना है?

राजनेता किसी भी भाषा को लेकर के लेकर विपरीत इसलिए बोलते हैं क्योंकि उनके अंदर अहं होता है। जब राष्ट्र के प्रति प्रेम मन में होता है तो कोई इस तरह की बात नहीं करता। अहंकार के कारण ही ऐसी विपरीत बातें निकलती है। जो लोग समाज को आगे ले जाना चाहते हैं उन्हें यह सोचना चाहिए कि मेरे पीछे समाज चल रहा है। उन्हें इस बात पर गौर करनी चाहिए कि मुझे देखकर समाज चल रहा है। जो मैं करूंगा वही लोग करेंगे। मेरे पीछे रालेगण से लेकर दिल्ली तक लोग खड़े हो गए क्योंकि वो देखते हैं कि मैं क्या कर रहा हूं। राजनेताओं को भी अपने विचार और चरित्र को शुद्ध रखना चाहिए।

भ्रष्टाचार के कारण भी नेताओं का आचरण ही है। लोग देखते हैं कि हमारे नेता भ्रष्टाचार में डूबे हैं तो वो भी ये सोचकर भ्रष्टाचार करने लगते हैं कि जब इतना बड़ा नेता कर रहा है तो मेरे करने में क्या हर्ज है।

देश बड़ी अपेक्षा से आपके पास आ रहा है। रोजाना हजारों चिठ्ठियां आपकों लिखी जा रही हैं। क्या आप सभी को जवाब दे पा रहे हैं?
यह प्रश्न मेरे सामने भी है कि क्या मैं देश की उम्मीदों पर खरा उतर पाउंगा। लोग बड़ी उम्मीद से मेरे पास आ रहे हैं। मैं फकीर आदमी हूं। मंदिर में रहता हूं। मेरे पास कोई बैंक बैलेंस या दौलत नहीं है। रोजाना इतने पत्र आ रहे हैं। एक पत्र के जवाब देने में भी कम से कम पांच रुपए खर्च होते हैं मैं इतना पैसा कहां से लाउंगा। देने वाले भी हैं। बहुत से लोग पैसे के दान की बात करते हैं लेकिन मैं किसी भी प्रकार का दो नंबर का पैसा स्वीकार नहीं कर सकता। मैं अपने जीवन में कभी दो नंबर का पैसा नहीं लिया क्योंकि इस पैसा से कुछ अच्छा हो ही नहीं सकता। अभी दिल्ली से मुझे एक करोड़ रुपए का ईनाम दिया जा रहा था लेकिन देने वालेलोग सही नहीं थे इसलिए मैंने लेने से इंकार कर दिया। मेरे सामने देश है। देशवासियों की अपेक्षा बढ़ गई है। मेरे जीवन का सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि मैं देश की अपेक्षाओं पर कैसे खरा उतर पाउंगा। सामान्य नागरिकों ने मुझे कभी देखा नहीं फिर भी देश की जनता मेरे पीछे खड़ी हो गई है। मुझे ऐसा लगता है कि यह सब भगवान की लीला है। भगवान को ही देश में परिवर्तन लाना है। वो ही लोगों को सद्बु्द्धी दे रहा है। जनता की अपेक्षा बड़ी है इसका भी कोई न कोई रास्ता भगवान ही निकालेगा। मुझे नहीं पता कि मैं उनकी अपेक्षाए कैसे पूरी कर पाउंगा। बस भगवान में मेरा पूर्ण विश्वास है।

लोग समझ रहे हैं कि अन्ना दुख दर्द दूर कर देंगे इसलिए भी वो यहां आ रहे हैं?

मैं बीस साल से आंदोलन कर रहा हूं। लाखों पत्र मेरे पास पहुंचे हैं। मैं हर पत्र का जवाब नहीं दे पाता हूं यह मेरी समस्या है लेकिन फिर भी मैं जितना कर पाता हूं उतना कर रहा हूं। उदाहरण के तौर पर मेरे प्रयासों से महाराष्ट्र में सात कानून बन गए हैं। इन सब से काफी फर्क आया है। सूचना का अधिकार के कानून से भी पूरे देश को फायदा हुआ है।

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