भीलवाड़ा में रेलवे स्टेशन के निकट स्थित 70 बीघा 8 बिस्वा जमीन 1966 में राजस्थान वनस्पति प्रोडक्ट प्रा. लि. को आवंटित की गई थी। सोमैया ने मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच हाईकोर्ट के रिटायर जज से कराने की मांग की है।
साथ ही मुख्यमंत्री गहलोत और कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी सवाल किया है कि जिस विषय पर विपरीत टिप्पणियां आती रही हैं, उसमें ऐसा क्या लेनदेन हुआ कि 756 करोड़ की जमीन 11 करोड़ में देने की मंजूरी दे दी।
भाजपा कार्यालय में मंगलवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस में सोमैया के साथ भीलवाड़ा के विधायक विट्ठल अवस्थी और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सुनील भार्गव भी मौजूद थे।
सोमैया ने कहा कि मामले की जांच होने तक इस जमीन के उपयोग पर रोक लगाई जाए। उन्होंने कहा कि इस जमीन पर अब उद्योग नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि यह आबादी क्षेत्र में आ गई है। उन्होंने कहा कि आईटीआई के तहत इस सारे प्रकरण के कागजात कलेक्ट्रेट और अन्य सरकारी विभागों से हासिल किए गए हैं।
सुनील भार्गव ने तकनीकी पहलुओं के बारे में बताया कि लीज डीड के मुताबिक भूखंड किसी को न तो सबलेट किया जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कलेक्टर की ओर से तीन बार दी गई तथ्यात्मक रिपोर्ट में इस भूमि को अवाप्त होकर सरकारी बताते हुए कहा गया है कि अगर इसे सामान्य दर केप्रिकोन क्रेडिट प्रा. लि. (सीसीपीएल) को दिया जाता है तो इससे राजकोष को नुकसान होगा।
साथ इस भूमि के घनी आबादी के बीच आ जाने से इसमें नया उद्योग शुरू करना भी ठीक नहीं होगा। भीलवाड़ा कलेक्टर ने यह भी कहा था कि बीआईएफआर के 17 अगस्त, 2006 के आदेश के खिलाफ अपील करने का भी कई बार आग्रह किया गया था, लेकिन सरकार के स्तर पर कोई गौर नहीं किया।
कब कब लिखे कलेक्टर ने पत्र :
राज्य सरकार की ओर से इस भूमि के संबंध में जानकारी चाहने पर भीलवाड़ा कलेक्टर की ओर से 6 मार्च, 2007, 29 दिसंबर, 2007, 24 सितंबर, 2009, 30 अक्टूबर, 2009, 22 जनवरी, 2010, 25 जनवरी, 2011 को अलग अलग पत्र भेजे जा चुके हैं।
सरकार का ये रहा दबाव :
सोमैया, भार्गव और अवस्थी ने आरोप लगाया कि इस मामले में सरकार की ओर से 21 फरवरी, 2011 को बैठक में आने के लिए पत्र भेजने से ही दबाव शुरू हो गया। वित्त (कर) विभाग की ओर से कलेक्टर से फिर भूमि की वैधानिक जानकारी मांगी गई।
अंतत: 17 मई, 2011 को उद्योग (ग्रुप-1) विभाग ने राजस्थान वनस्पति प्रॉडक्ट्स लिमिटेड द्वारा इस जमीन को केप्रीकोन क्रेडिट प्रा. लि. को उद्योग स्थापना के लिए हस्तांतरित करने की कायरेत्तर मंजूरी विभिन्न शर्तो के साथ दे दी।
कैसे दिए 11 करोड़ :
कलेक्टर की ओर से दी गई रिपोर्ट में बताया गया कि केप्रीकोन क्रेडिट प्रा. लि. द्वारा अब तक 10 करोड़ 35 लाख रुपए का भुगतान बैंक ऑफ बड़ौदा और रीको को किया जा चुका है। साथ ही 67 लाख रुपए का भुगतान और करने के लिए कहा गया है।
आधी कीमत पर जमीन देने को तैयार : विधायक
विधायक उदयलाल आंजणा ने कहा- यह जमीन मैंने भाजपा कार्यकाल में ही ली थी। उस समय इसकी कीमत 11 करोड़ देने वाले भी नहीं थे। आरोप लगाने वाले इसकी कीमत ज्यादा आंक रहे हैं। वे जो कीमत बता रहे हैं उससे आधी कीमत पर मैं यह जमीन उन्हें देने को तैयार हूं।
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