मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश एनके जैन (प्रथम) की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश मंगलवार को जागो जनता सोसायटी की जनहित याचिका पर दिया।
अधिवक्ता पूनमचंद भंडारी ने याचिका में कहा कि प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में पेयजल, शौचालय, लिफ्ट व चैंबर्स की कमी आदि सुविधाओं की कमी है। कोर्ट कक्षों में जगह कम है, फर्नीचर भी नहीं है।
वकीलों सहित पक्षकारों के बैठने की कोई सुविधा नहीं है और न ही ये कंप्यूटरीकृत हैं। याचिका में गुहार की गई कि प्रदेश की अदालतों का आधारभूत विकास कर उनमें आधुनिक सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएं। कोर्ट कक्षों को कंप्युटरीकृत किया जाए और उन्हें वातानुकूलित बनाया जाए।
साथ ही अदालत परिसर में वकीलों के बैठने के लिए चैंबर्स की व्यवस्था हो। खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई कर राज्य सरकार सहित हाईकोर्ट प्रशासन से जवाब मांगा।
अधीनस्थ अदालतों के हाल
जिला न्यायिक क्षेत्र व महानगर न्यायिक क्षेत्र की अदालतें के बीच आने-जाने में ही 20 मिनट लग जाते हैं। मोबाइल कोर्ट भी अलग भवन में। सुरक्षा में खामियां हैं। कोर्ट व कक्षों में कोई भी प्रवेश कर सकता है। न सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं और न ही मैटल डिटेक्टर।
पार्किग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं। बिना रोक-टोक कहीं भी पार्किग की जा सकती है। कक्षों में कम जगह, फर्नीचर नहीं। वकील व पक्षकार मुश्किल से खड़े हो पाते हैं। अधिकतर कोर्ट कक्षों में कंप्यूटरों की की कमी।
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