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17 अगस्त 2011

अन्‍ना को लता मंगेशकर का साथ, कांग्रेस की मांग- अमेरिकी समर्थन की हो जांच



नई दिल्‍ली. सरकार जहां अन्‍ना हजारे को मनाने की हर संभव कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस ने उन पर निशाना साधा है। पार्टी प्रवक्‍ता राशिद अल्‍वी ने कहा है कि अन्‍ना को अमेरिका ने समर्थन क्‍यों दिया, इसकी जांच होनी चाहिए। अमेरिका की ओर से बयान आया था कि भारत लोकतांत्रिक देश है और वहां किसी को अनशन की इजाजत मिलने में मुश्किल नहीं आनी चाहिए।


कांग्रेस प्रवक्‍ता के बयान से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में अन्‍ना हजारे की गिरफ्तारी पर अफसोस जताते हुए कहा कि टीम अन्‍ना ने शर्ते नहीं मानीं इसलिए उनकी गिरफ्तारी हुई। पीएम ने बुधवार को अन्‍ना के मसले पर संसद में बयान देते हुए यह बात कही। विपक्ष की मांग के बीच पीएम दोनों सदनों में बयान देने तो आए लेकिन उनका अंदाज वही था जो मंगलवार को गृह मंत्री पी चिदंबरम सहित सरकार के सिपहसालारों का था। लोकसभा में पीएम के बयान दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। लोकसभा अध्‍यक्ष ने सदस्‍यों को बार-बार समझाने की कोशिश की। लेकिन विपक्षी सदस्‍य नहीं माने। कई बार सदन की कार्यवाही स्‍थगित करनी पड़ी।
राज्‍यसभा में भी पीएम के बयान पर विपक्ष ने हंगामा किया। सदन में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्‍होंने कहा, 'ब्रिटिश राज में भी ऐसी पाबंदियां नहीं थी जैसी अन्‍ना हजारे के भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आंदोलन के विरोध में लगाई गई हैं।' जेटली ने कहा कि सरकार की नीयत भ्रष्‍टाचार से लड़ाई की नहीं है। और, न ही उसमें राजनीतिक इच्‍छाशक्ति है। उन्‍होंने कहा कि सरकार अन्‍ना के समर्थकों को रिहा करे और उन्‍हें शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की इजाजत दे।

पीएम लोकसभा में अपना बयान देने के बाद तुरंत ही राज्‍यसभा चले गए। इस पर विपक्ष ने हंगामा किया। विपक्ष की नेता सुषमा स्‍वराज ने सवाल किया, ‘पीएम विपक्ष को सुने बिना ही क्‍यों चले गए। पीएम के सामने ही प्रतिक्रिया दूंगी।’ पीएम के न होने के मुद्दे पर लोकसभा में विपक्ष और सरकार पर तीखी नोंकझोंक हुई। भाजपा के वरिष्‍ठ नेता लालकृष्‍ण आडवाणी ने कहा कि सरकार विपक्ष की आवाज दबा रही है। उन्‍होंने कहा, ‘अन्‍ना के आंदोलन को दबाने के प्रयास से इमरजेंसी के दिनों की याद आ रही है। सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने भाजपा पर ‘मगरमच्‍छ के आंसू’ बहाने का आरोप लगाया जिसे लेकर सुषमा ने हंगामा किया।

पीएम ने कहा, ‘अन्‍ना ने पुलिस की शर्तें मानने से इनकार किया। पुलिस को लगा कि अन्‍ना नियम तोड़ सकते हैं। ऐसे में पुलिस ने शांति-व्‍यवस्‍था बनाए रखने के लिए अन्‍ना को गिरफ्तार किया। यह सारी कार्रवाई दिल्‍ली पुलिस ने की। पुलिस ने अन्‍ना की रिमांड नहीं मांगी। कल 2600 लोग हिरासत में लिए गए थे लेकिन कल ही सभी लोगों को रिहा कर दिया गया लेकिन अन्‍ना ने जेल से निकलने से मना किया। अन्‍ना हजारे बिना शर्त जेपी पार्क में अनशन की इजाजत चाहते हैं। जबकि अनशन के लिए हर बार शर्त रखी जाती है। प्रदर्शन के लिए हर शख्‍स को हलफनामा देना होता है। अन्‍ना ने भी शर्तें मानी तो अनशन की इजाजत मिलेगी। कल की घटना पर अफसोस है।’

मनमोहन सिंह ने माना कि अन्‍ना ऊंचे आदर्शों से प्रेरित शख्सियत हैं लेकिन उनके अभियान को तरीके को जायज नहीं ठहराया। बातचीत से ही किसी समस्‍या का हल हो सकता है। उन्‍होंने कहा, ‘कानून बनाना संसद का काम है और इसकी सर्वोच्‍च्‍ता को चुनौती नहीं दी जा सकती। जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को संसद में अपना काम करने देना चाहिए। लोकतंत्र का कोई विकल्‍प नहीं है। हम कई मोर्चों पर लड़ रहे हैं। कुछ लोग देश को आगे बढ़ना देखना नहीं चाहते हैं। कोई यदि सरकार को चुनौती देता तो शांति बनाना सरकार का काम है।’

सभी राजनीतिक दलों से संसद को चलने देने में सहयोग का आह्वान करते हुए पीएम ने कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्‍होंने कहा, ‘संसद ने तय किया है कि लोकपाल बिल जल्‍द से जल्‍द पास हो। बिल अभी स्‍टैंडिंग कमेटी के पास है। स्‍टैंडिंग कमेटी में चर्चा के दौरान लोकपाल बिल पर अन्‍ना को बात रखने का मौका मिलेगा। अन्‍ना जनलोकपाल बिल पर अड़े हैं। वह इस बिल को थोपना चाहते हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि कानून कौन बनाता है। हमें हर आदमी की फिक्र है।’
लता मंगेशकर का ट्विटर पर संदेश - नमस्कार, मुझे राजनीति न समझ आती है न ही उसमें कोई दिलचस्पी है परंतु भ्रष्टाचार से हमारा देश मुक्त होना बहुत जरूरी है, इसलिए मैं अन्ना जी के इस भ्रष्टाचार विरोध अभियान का समर्थन करती हूं - जय हिंद

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