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28 अगस्त 2011

अख़तर ख़ान अकेला साहब ने ब्लॉग की दुनिया में रच डाला इतिहास

एक बिल्कुल ताज़ा ख़बर हिंदी ब्लॉगिंग की दुनिया से, ताकि आप जान लें कि कीर्तिमान यहां भी स्थापित किये जा रहे हैं तमाम तरह की दिक्क़तों के दरम्यान।
हम बात कर रहे हैं हिंदी ब्लॉगिंग की दुनिया के एक सुपर स्टार जनाब भाई अख़तर ख़ान अकेला साहब की जो कोटा राजस्थान से संबंध रखते हैं और राजस्थान हाईकोर्ट में एडवोकेट के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जनाब पत्रकार भी हैं और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी और विभिन्न धर्म-मतों के अनुयायियों दरम्यान प्यार और भाईचारे के लिए काम कर रहे हैं।
हिंदी ब्लॉगिंग के ज़रिये भी वे यही प्यार मुहब्बत का पैग़ाम देते आए हैं और नज़रअंदाज़ किए जाने के बावजूद उन्होंने अपने लेखन कर्म को एक साधना के तौर पर जारी रखा और मात्र सवा साल में ही उन्होंने साढ़े तीन हज़ार पोस्ट्स रच डालीं।
है न कमाल ?
यह वाक़ई एक कमाल है और गिनीज़ बुक आफ़ वल्र्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किये जाने लायक़ है।
उन्होंने अपने निजी ब्लॉग के अलावा भी बहुत से साझा ब्लॉग बना रखे हैं, जहां उन्हें बहुत पढ़ा जाता है।
शरपसंद हमेशा थोड़े से होते हैं। अगर उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया जाए तो बाक़ी सामान्य लोग सदैव स्वागत करते हैं।
जनाब अख़तर ख़ान अकेला साहब का स्वागत आज हिंदी ब्लॉग जगत विभिन्न मंचों से कर रहा है जिसमें ‘फ़ेसबुक और ब्लॉगस्पॉट‘ मुख्य हैं।
इस अवसर हमने उन्हें मुबारकबाद देते हुए उनकी सवा साल की मेहनत की संक्षिप्त सी समीक्षा भी की है और यही समीक्षा उनकी पोस्ट पर टिप्पणी के रूप में पब्लिश भी की है।
यह समीक्षा भी यहां दर्ज की जाती है-

अख़तर ख़ान अकेला साहब ने ब्लॉग की दुनिया में रच डाला इतिहास
भाई साहब ! आपने साढ़े तीन हज़ार पोस्ट्स आपने लिख डालीं और उन पर आपको इससे आधी टिप्पणियां भी नहीं मिलीं , इसके बावजूद आपका ब्लॉग बहुत पढ़ा जाता है। यह बात आपके ब्लॉग पर लगा हुआ टूल बता रहा है। यही आपकी कामयाबी है।
जो लोग तंगनज़र हैं और तास्सुब के शिकार हैं, जो लोग इस ब्लॉग जगत के सर्वेसर्वा बनने के ख्वाहिशमंद थे, उनके सपनों के कांचमहल को अपने रोड रोलर से रौंदने वाला मैं ही तो हूं। जब सब साफ़ हो गया तो शांति तो होनी ही थी और यह बनी भी रहेगी जब तक कि अगला कोई महत्वाकांक्षी अपना सिर नहीं उठाएगा।

नफ़रत के इन सौदागरों के पास सिर्फ़ नफ़रत है और गहरी चालें हैं। जिस चीज़ का ज़िक्र आप आज कर रहे हैं, इसी को हमने ‘वर्चुअल जर्नलिज़्म‘ का नाम दिया है और इसका काफ़ी हद तक उन्मूलन भी किया। इन शरपसंदों के क़ब्ज़े में सिर्फ़ अपने अल्फ़ाज़ हैं, ये आपको कुछ नहीं देते तो मत दें, हम तो इन्हें भी टिप्पणियां दे देते हैं। मालूम नहीं कब बात समझ में आ जाए और कब इनका दिल बदल जाए और न भी बदले तो हमारा नाम सामने देखकर एक खटक तो हमेशा ये महसूस करते ही रहेंगे कि ‘हाय ! हमने जो सोचा था वह न हुआ।‘
अरे भाई सोचा तो तुमने मौत के बारे में भी नहीं है लेकिन मौत बहरहाल तुम्हें आकर रहेगी और तब तुम्हारा फ़ैसला तुम्हारे बदन की सजावट और तुम्हारे माल की दिखावट की बुनियाद पर नहीं होगा बल्कि तब तुम जांचे जाओगे अपनी हक़ीक़त की बुनियाद पर, अपनी नीयत और अपनी मंशा की बुनियाद पर और तब कामयाब वही रहेगा जिसने दुनिया में इंसाफ़ की और प्यार मुहब्बत की बात की होगी, अम्नो अमान की कोशिशें की होंगी।

इस ऐतबार से आप कामयाब हैं!
आपको कामयाबी की बहुत बहुत मुबारकबाद !


फ़ेसबुक पर भी मैंने आपकी इस कामयाबी की चर्चा की है, जिसे आप निम्न लिंक पर देख सकते हैं।
अगर आपने हमें वहां अभी न जोड़ा हो तो कृप्या ढूंढकर जोड़ लीजिएगा।

आप पर ख़ुदा की तरफ़ से सलामती और मेहर हो।

अख़तर ख़ान अकेला साहब ने ब्लॉग की दुनिया में रच डाला इतिहास....डोक्टर अनवर जमाल

2 टिप्‍पणियां:

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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