अस्ट्राखन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर दिमित्री वासिलयेव कहते हैं कि कैपसिकम सागर के पास नौ साल की खुदाई के बाद उन्हें ये जगह मिली थी। यहां जमीन में मिले त्रिकोणीय आकार के किले को देखकर कहा जा सकता है कि ये एटिल था। किले के निर्माण में जिस तरह की ईंटों का इस्तेमाल किया गया था, वैसी ईंटें सिर्फ एटिल में बनती थीं।
‘द ज्यूज़ ऑफ खाज़ारिआ’ के लेखक कैविन ब्रूक भी कहते हैं कि मैंने एटिल के लिए की जा रही खुदाइयों पर कई साल तक नजर रखी है। भले ही यहां पर यहूदियों से संबंधित किसी तरह के अवशेष नहीं मिले हैं, फिर भी मैं कह सकता हूं कि ये एटिल ही है। ये लोग तुर्की के बंजारे थे।
सातवीं से दसवीं शताब्दी के दौरान इन्होंने दक्षिणी रूस और यूक्रेन के काफी इलाके जीत लिए थे। समझा जाता है उनकी राजधानी एटिल मॉस्को से 800 मील दक्षिण में थी। 0.8 वर्गमील में फैले इस शहर की आबादी 60 हजार थी। यूरोप और चीन के बीच व्यापारिक गतिविधियां जिस मार्ग से संचालित होती थीं, ये उस मार्ग पर था। फिर भी ये लोग जिन कलाओं में माहिर थे। उतना सामान यहां से तलाशा नहीं जा सका है। सिर्फ कुछ इमारतों के आधार पर इसे एटिल नहीं कहा जा सकता
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