आपका-अख्तर खान

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29 अगस्त 2011

सच कहा तो बुरा मान गये ............

जी हाँ दोस्तों देश में सांसदों और विधायकों की चुनाव प्रकिर्या के वक्त अधिकतम प्र्त्याक्शियों द्वारा जो गंदगी और खरीद फरोख्त फेलाई जाती है उसे फिल्म कलाकार ओम पूरी ने फ़िल्मी अंदाज़ में जब पेश किया तो सभी सांसद बुरा मान गये .........संसद को इस मामले में अपने गिरेबान में झाँक कर देखना चाहिए देश के सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में कई दर्जन मामले इन्हीं आरोपों के साथ चुनाव याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं जबकि टी ऍन शेषन पूर्व चुनाव आयुक्त इस बात के गवाह है के किस तरह से चुनाव में वोटर को प्रलोभन देकर खरीद फरोख्त की जाती है जो पार्टी के राजनितिक कार्यकर्ता है जो पत्रकार है वोह इस सच को खूब अच्छी तरह से जानते है । जब देश इस सच को जानता है और यह सच मंच से उजागर किया जाता है तो फिर संसद क्यूँ बुरा मान जाते हैं यह बात सही है के काफी लोग काफी सांसद अपवादित परिस्थितियों में चुनाव लड़ते हैं वोह लोग इस गंदगी से दूर रहते हैं लेकिन सारे देश के सांसद अगर इश्वर को हाज़िर नाज़िर मानकर यह कहें के चुनाव आयोग की चुनावी खर्च की जो राशि की सीमा निर्दारित कर राखी है अगर उससे दस गुना भी खर्च कर यह लोग चुनाव लड़ते हों तो इन्हें इमानदार कह देंगे लेकिन हकीक़त यह है के बीस लाखी की खर्च सीमा अगर होती है तो फिर कई करोड़ रूपये एक लोकसभा चुनाव में खर्च किये जाते हैं अब यह रुपया कहां और किस्लियें खर्च किया जाता है कच्ची बस्ती के लोग खूब अच्छी तरह से जानते हैं ऐसे में ओम पूरी का कथन अगर सच के नजदीक है तो फिर इस सच पर बुरा मानने की जगह सासदों को इस बुराई को त्यागने का संकल्प लेना चाहिए था उसके विपरीत डराने का काम कर रहे हैं इससे स्पष्ट है के अन्ना गिरी का इन लोगों पर असर नहीं हुआ है ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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