इससे त्वचा पर कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होगा। अब तक कृत्रिम त्वचा बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वस्तु इतनी मजबूत नहीं थी। जर्मनी के शोधकर्ताओं ने एक शोध में पाया कि मकड़ी का रेशम आग से झुलसे हुए और अन्य त्वचा रोग संबंधी मरीजों के इलाज में आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है।
मेडिकल स्कूल हैनोवर की शोधकर्ता हैना वें½ के अनुसार मकड़ी के जालों का प्रयोग संक्रमण से लड़ने में और घावों को भरने में भी किया जाता है। लेकिन, वैज्ञानिक अब मकड़ी के सिल्क को भी कृत्रिम रूप से तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे काफी मदद मिल सकती है।
कैसे किया शोध
स्पाइडर सिल्क की मजबूती जांचने के लिए शोधकर्ताओं ने सुनहरा रेशम बनाने वाली मकड़ियों के रेशम बनाने वाली ग्रंथियों को थपथपाया। इससे उनका रेशम फाइबर के रूप में बाहर आ गया। इस रेशम को फ्रेम में बांध कर इंसानी त्वचा की कोशिकाएं उसपर रखीं। उचित पोषण, तापमान और हवा में रखने पर वे कोशिकाएं सामान्य रूप से बढ़ने लगीं।
शोधकर्ता दो प्रकार की त्वचा कोशिकाएं बनाने में सफल हुए- पहली तो किरेटिनोसाइट्स- जो त्वचा का सबसे ऊपरी भाग है तथा दूसरी फाइब्रोटब्लास्ट- जो त्वचा को पोषित करती हैं । इनमें रक्त नलिकाएं, बालों के रोम और अन्य संरचनाएं होती हैं।
आप ने बहुत अच्छी जानकारी दी इस केलिए आप को बहुत बहुत धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंआप मेरे ब्लॉग पे भी अपना कीमती समय निकाल के आवे