इलाके के लोगों ने इन्हें तो अब कलयुगी पुरुष कहना शुरू कर दिया है। अब तक सांपों को देख लोग भागते हैं, यहां विनोद नाम के इस शख्स को देख सांप भाग जाते हैं। इन्हें लोग वैद्य जी भी बुलाते हैं। सांप अगर किसी को डस ले तो इलाके के लोग उस पीड़ित को वैद्य जी के ही पास लाते हैं।
"सांपों का माला बना डालते हैं गले में"
विनोद बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही सांपों से आकर्षण था। सांपों के पीछे खूब भागते थे, फिर तो धीरे-धीरे उन्होंने सांपों के साथ खेलना शुरू कर दिया। गेहुंमन सांप तो वैद्य जी को सबसे अधिक पसंद है। आम लोग जो, गेहुंमन का सिर्फ नाम सुनकर कांप जाते हैं, वैद्य जी के चेहरे पर ख़ुशी की लहर आ जाती है। ये जहरीले सांपों को बेखौफ होकर बेधड़क पकड़ते हैं। इतना ही नहीं, वैद्य जी इन सांपों को माला के रूप में गले में भी डाल लेते हैं।
"मुंह में बंद कर रख लेते हैं सांप को"
विनोद उर्फ़ वैद्य जी को सांपों ने इस दौरान कई बार काटा भी है। लेकिन, आश्चर्य उन्होंने सांपों के विष को खुद से निकाल लिया। कई बार तो उन्हें कुछ हुआ भी नहीं। अब विनोद की मानें, तो उन्हें सांपो के विष को चखने की आदत पड़ गई है। अब तो दिन में तीन-चार बार जब तक कोई जहरीला सांप इन्हें काट न ले, चैन की नींद नहीं आती। सांप इनके आसपास हमेशा रहते हैं।
या यों कहें कि विनोद हमेशा सांपों को अपने पास रखते हैं। कई बार तो सांप इन्हें काटने को तैयार ही नहीं होता। ऐसी स्थिति में ये बेचैन हो जाते हैं। सांप को कई बार उकसाते हैं। फिर भी बात नहीं बनती तो मजबूरन सांप को अपने मुंह में रख लेते हैं।
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