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07 अगस्त 2011

भ्रष्टाचार: जिम्मेदार कौन, कौन रोकेगा और क्‍या है इलाज?


भ्रष्टाचार और इसे रोकने की कोशिश ऐसा मुद्दा रहा है जिसने भारतीयों को 'एक' कर दिया है। हालांकि, अभी हमें पता नहीं है कि भ्रष्टाचार के लिए कौन जिम्मेदार है। इसके लिए राजनेताओं और नौकरशाहों पर उंगली उठाना आसान है। लेकिन क्या घूस देकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले उतने ही जिम्मेदार नहीं हैं?

हमें मालूम है कि 2 जी, सीडब्लूजी और खनन घोटालों से सरकारी खजाने को करोड़ों रुपयों का चूना लगा है। लेकिन क्या 1000 रुपये के चालान से बचने के लिए ट्रैफिक पुलिस को 100 रुपये घूस देने वाला शख्स, रेलवे टीटीई को सीट के लिए घूस देने वाला यात्री और कॉलेज में एडमिशन के लिए डोनेशन के नाम पर घूस देने वाले मां-बाप दोषी नहीं हैं?

इन सभी अपराधों का स्तर अलग-अलग है, लेकिन इन सब में ‘चलता है’ का रवैया एक जैसा है। इसलिए अब सवाल उठता है- अपने देश में दिख रहे भ्रष्टाचार के लिए कौन जिम्मेदार है? हम अलग-अलग क्षेत्रों में भ्रष्टाचार देखते हैं। इनमें सरकार, शिक्षा, मीडिया, दूरसंचार, रिटेल, निर्माण और खनन जैसे तमामा अहम क्षेत्र शामिल हैं। यहीं से मुझे मेरे दूसरे सवाल का सिरा मिलता है- हमारा मार्गदर्शन कौन करेगा और कौन यह बताएगा कि भ्रष्टाचार को कम और आखिर में खत्म कैसे करना है?

वे कौन से नेता, विचारक, रणनीतिकार, कॉरपोरेट दिग्गज हैं जिनका ज्ञान, जिनकी विशेषज्ञता और सलाह आप को यानी भारत के लोगों को मंजूर होगी?

और अंत में, आपके पास अपने महान देश को इस विपदा से मुक्ति दिलाने के लिए क्या रास्ता है? आपको क्या लगता है कि भ्रष्टाचार को खत्म करने का क्या तरीका हो सकता है? अगर एक अरब लोग अपना दिमाग लगाएं तो मुझे यकीन है कि रास्ता जरूर निकलेगा और अंधकार भरी सुरंग के अंत में रोशनी दिखेगी।

यही वजह है कि हमने आपके सामने ये सवाल रखे हैं। आप नीचे मौजूद कमेंट बॉक्स में ऊपर पूछे गए तीन सवालों के जवाब दीजिए- आपके मुताबिक भ्रष्टाचार के लिए कौन जिम्मेदार है? इसे खत्म करने के लिए आप किसकी राय जानना चाहते हैं? और अंत में भ्रष्टाचार से लड़ने के उपायों पर आप अपनी राय जाहिर कीजिए। और हमारी कोशिश होगी कि हम सब साथ-साथ भ्रष्टाचार की पहेली सुलझाएं और कुछ सवालों के जवाब जरूर ढूंढ लें।

भ्रष्टाचार की कड़ी में एक बात और
भ्रष्टाचार की लंबी कड़ी में ताजा मामला शीला दीक्षित का है। शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार पर सीएजी ने पिछले साल अक्टूबर में हुए १९ वें कॉमनवेल्थ खेलों में हुई फिजूलखर्ची और अनियमितता बरतने के आरोप लगाए हैं।

सीएजी की रिपोर्ट में शीला दीक्षित की सरकार पर लगने वाले अहम आरोप हैं-
-दिल्ली सरकार ने स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए बाज़ार रेट से कहीं ऊंची दरों पर ठेका देकर सरकारी खजाने को 31 करोड़ का चूना लगाया।
-कई ऐसी कंपनियों को सौंदर्यीकरण का ठे‍का मिला जो 'काली सूची' में थीं।
-लो फ्लोर बसों, बस शेल्टर, स्ट्रीट लाइट, बसों में एलईडी लाइट पैनल लगाने में वित्तीय खामियां।
-स्ट्रीट लाइट का आयात करने से भी सरकारी खजाने को चूना लगा।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भ्रष्टाचार के मुद्दे पर येदियुरप्पा से इस्तीफा मांगने वाली कांग्रेस पार्टी की नेता शीला को खुद आरोपों से घिरने के बाद कुर्सी नहीं छोड़नी चाहिए? आप इस सवाल का जरूर दीजिएगा।

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