नई दिल्ली. विदेश मंत्री एसएम कृष्णा की जुबान फिर फिसल गई। इस बार वे सदन में पाकिस्तानी सरकार की भाषा बोलने लगे। अजमेर की जेल में बंद पाक नागरिक की रिहाई के लिए पाकिस्तान सरकार से आग्रह करने तथा पाक की जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत को लेकर दिए विवादास्पद बयान से विपक्ष हतप्रभ रह गया। पाक नागरिक संबंधी बयान पर तो प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने कृष्णा के बयान को दुरुस्त किया।
अजमेर की जेल में बंद पाक नागरिक के लिए कहा-पाकिस्तान सरकार चिश्ती को रिहा करे
उपरोक्त घटनाक्रम गुरुवार सुबह 11 बजकर 28 मिनट पर राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की मौजूदगी में हुआ। हुआ यूं कि प्रश्न संख्या 164 के तहत भारत व पाक में बंद एक दूसरे के कैदियों को लेकर शिवानंद तिवारी ने एक पूरक सवाल पूछा।
उन्होंने राजस्थान की अजमेर जेल में बंद एक बुजुर्ग पाकिस्तानी नागरिक डॉ. खलील चिश्ती का जिक्र किया जिनके बंदी होने का संज्ञान खुद प्रधानमंत्री तक ले चुके हैं।
कृष्णा ने जवाब दिया कि डा. चिश्ती पाकिस्तानी जेल में बंद हैं और उनकी रिहाई के लिए वहां के प्रधानमंत्री व सरकार को नरमी दिखानी चाहिए। इस जवाब को लेकर भाजपा के बलबीर पुंज व प्रकाश जावडेकर ने कृष्णा पर निशाना साधा तो पीएम खुद ही खड़े हो गए। डा. सिंह ने सदन को बताया कि डा. चिश्ती राजस्थान की जेल में बंद हैं और उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री से बात की है। गृह मंत्री इस मसले पर राजस्थान सरकार व वहां के गृह मंत्री के संपर्क में हैं।
पाक की जेल में बंद भारतीय के लिए बोले-सरबजीत ने किए हैं चार विस्फोट
पीएम के स्पष्टीकरण के बाद हालत सुधर रहे थे। पाकिस्तानी जेल में मौत की सजा पाए भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की रिहाई को लेकर वामपंथी वृंदा करात के सवाल के जवाब में विदेश मंत्री के बयान से सभी सांसद स्तब्ध रह गए। कृष्णा ने कहा कि सरबजीत को जुलाई 1990 में चार बम विस्फोटों में शामिल होने के कारण गिरफ्तार किया गया था और 15 सितंबर 1991 को उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई।
विपक्षी सांसदों ने कृष्णा का ध्यान दिलाया कि वे सदन में पाकिस्तानी सरकार की भाषा बोल रहे हैं। इसपर विदेश मंत्री ने कहा कि मामले को लेकर पाकिस्तानी सरकार का यही पक्ष है लेकिन भारत सरकार उनकी सजा माफ कराने के लिए पूरी गंभीरता से प्रयास कर रही है। पाकिस्तानी राष्ट्रपति के पास उनकी दया याचिका लंबित है और भारत उनसे मामले में नरमी बरतने व मानवीय आधार पर फैसला लेने का आग्रह करता है।
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