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23 अगस्त 2011

जब मुंह खोला, जहर उगला और डुबा दी कांग्रेस की लुटिया...


नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने जिन नेताओं का पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी है, उन्हीं नेताओं के कारण पार्टी को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। चाहे वह सोनिया और राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले दिग्विजय सिंह हों या फिर पार्टी के तेज तर्रार प्रवक्ता राशीद अल्वी।
कांग्रेस के इन नेताओं के बड़बोलेपन के कारण पूरी पार्टी को कई बार न सिर्फ पूरे देश के सामने बल्कि संसद में भी शर्मिदगी उठानी पड़ी। आलाकमान ने मौके की नजाकत को भांपते हुए इन नेताओं की जुबान पर ताला लगा दिया है।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने सभी नेताओं को मीडिया से दूरी बनाने का आदेश दिया गया है। अन्ना के आंदोलन के बाद से ही ऐसे कई मौके आए, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी लाइन से हटकर बयान दिए। जबकि ऊपर से साफ आदेश था कि अन्ना पर कोई व्यक्तिगत हमला नहीं होगा। वैसे तो बयानवीर सभी राजनीतिक दल में हैं लेकिन आज सिर्फ बात कांग्रेस के बयानवीरों की।
दिग्विजय सिंह, महासचिव, कांग्रेस

बयान नंबर एक :उन्हें पहले अपने दामन पर लगे छीटों के बारे में सफाई देनी चाहिए। किरण बेदी ने लेहमन ब्रदर्स से 2.50 करोड़ लिए हैं। अरविंद केजरीवाल ने भी उस कंपनी से पैसे लिए हैं। यह ऐसी कंपनी है जिसे खुद अन्ना की टीम के एक अहम सदस्य जस्टिस हेगड़े ने दागी कंपनी बताया है।
बयान नंबर दो :ईश्वर उन्हें शतायु करें। लेकिन अनशन-वनशन भूख हड़ताल करना बंद करें। यदि सिविल सोसायटी के लोगों को अनशन करना ही है तो नौजवान लोग, अरविंद केजरीवाल हैं, प्रशांत भूषण हैं, इनको बैठाइए। आप मत करिए।
मनीष तिवारी, प्रवक्ता, कांग्रेस
हम किशन बाबू राव हजारे उर्फ अन्ना से पूछना चाहते हैं कि कि तुम किस मुंह से भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन की बात करते हो। ऊपर से नीचे तक तुम भ्रष्टाचार से लिप्त हो।
रेणुका चौधरी, प्रवक्ता, कांग्रेस
उन्हें भी राहुल को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। वह उस वक्त बोलेंगे, जब उन्हें मुनासिब लगेगा। वह कोई तोता नहीं हैं।
राशीद अल्वी, प्रवक्ता, कांग्रेस
अमरीका ने पहले कभी भारत में किसी आंदोलन का समर्थन नहीं किया है। पहली बार अमरीका ने कहा कि अन्ना हजारे के आंदोलन की इजाजत देनी चाहिए और इसमें कोई अवरोध नहीं होना चाहिए। इस बात पर विचार करने की जरूरत है कि क्या कोई ताकत है जो इस आंदोलन को समर्थन दे रही है जो न सिर्फ सरकार को बल्कि देश को अस्थिर करना चाहती है।
नतीजा
आलाकमान ने अपने सभी बड़बोले नेताओं को खामोश रहने का आदेश दिया। जिसके बाद से सभी बयानवीर खामोश। इंतजार अगले आदेश का।

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