दोस्तों आप सभी को रमज़ानुल मुबारक का पहला दिन मुबारक हो ...........जी हाँ दोस्तों त्याग ,तपस्या की ट्रेनिंग का मुस्लिम माह रमजान जिसमे हर शख्स रोज़े रख कर इबादत करता है और भूख ,बुराई,झूंठ ,नफरत से लड़ने की कामयाब कोशिश करता है .कहते हैं के इन दिनों शेतान भी खुदा के यहाँ ज़ंजीरों में केद होता है और इसीलियें हर इंसान बिंदास तरीके से इस माह में इबादत ही इबादत करता है ...........कोई भी धर्म हो सभी में व्रत, उपवास की परम्परा है लेकिन पुरे तीस दिन इस्लाम में ही कुरान के हुक्म से सुबह सूरज उगने से पहले और सूरज डूबने और चाँद के निकलने तक पुरे तीस रोज़े रखने का अलग ही प्रावधान है इन दिनों हर इंसान मुंह के अलावा आँख , नाक , हाथ , पाँव जुबान सहित शरीर के सभी अंगों का रोजा रखता है अर्थात सभी इन्द्रियों पर उसे काबू पाना होता है उसके किसी भी आचरण से किसी का भी दिल न दुखे कोई बेहयाई बद तहज़ीबी की बात ना हो और बस इबादत ही इबादत का माहोल रहे ...........हमारे देश की मिली जुली संस्क्रती ने इस माहे रमजान को एक दुसरे के साथ मिल बेठ कर इस त्यौहार में खुबसूरत रंग भर दिए हैं लेकिन देश की राजनीति ने रमजान और रोज़े को भी मखोल बना दिया है .राजनितिक स्तर पर सियासत की भूख रखने वाले लोगों को इस्लामिक रीती रिवाज के तहत रोजा अफ्तार के कार्यक्रम कर उसमे बुलाया जाता है और वहां रोजेदारों में खाने और इफ्तार और नमाज़ को लेकर जो भगदड़ का माहोल रहता है वोह देखने लायक होता है ...खेर रमजानुल मुबारक का यह महिना और पहला रोजा सभी को मुबारक हो खुदा से यही दुआ है के सियासत त्यौहार और इबादत के इस खुबसूरत रंग को बेरंग नहीं करे और सियासतदां लोग इस त्यौहार में गन्दी सियासत की बेहूदगी से बाज़ आयें ..आमीन .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 अगस्त 2011
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अख्तर भाई, रमजानुल-मुबारक की आपको भी परिवार सहित ढेरों मुबारकबाद!
जवाब देंहटाएंaap ko bhee mubarak
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