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31 जुलाई 2011

हर खता माफ


 

jaipur news
जयपुर। कार्मिक और अन्य विभागों ने रिश्वत लेने, पद के दुरूपयोग और भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन की स्वीकृति देने के सम्बंध में दोहरा रवैया अपना रखा है। भ्रष्टाचार में लिप्त चपरासी, बाबू, पटवारी, ग्राम सेवक आदि चतुर्थ और तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के अभियोजन स्वीकृति के आवेदन पर तो तुरत-फुरत मंजूरी मिल जाती है, लेकिन अफसरों के प्रति कार्मिक और अन्य सरकारी विभाग नरम रूख अपनाए रखते हैं।
 प्रदेश में करीब एक सौ से अधिक राजपत्रित अधिकारी ऎसे हैं, जिनके अभियोजन स्वीकृति के मामले कार्मिक, स्वायत्त शासन, राजस्व आदि विभागों में सालों से पड़े हैं। एसीबी की ओर से बार-बार पत्र देने पर भी इनके बारे में फैसला नहीं हो रहा। एक अधिशासी अधिकारी मदन सिंह बुढानिया (जो हनुमानगढ़ व सूरतगढ़ में रहे) के खिलाफ पद के दुरूपयोग संबंधी पांच मामले दर्ज हैं। पांचों मामले कई साल से स्वायत्त शासन और निकाय विभाग के पास अभियोजन स्वीकृति के लिए लंबित हैं।
दबी हैं इनकी फाइलें
एसीबी के मुताबिक कार्मिक और अन्य सरकारी विभागों में एक सौ से अधिक अफसरों की फाइलें अभियोजन स्वीकृति के इंतजार में सालों से पड़ी हैं। सिरोही के तत्कालीन कलक्टर गिरिराज सिंह, एसडीएम शाहपुरा मिरजूराम, राजकीय चिकित्सक (कूकन, सीकर) डॉ. अशोक कुमार महरिया, दी गंगानगर केन्द्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड (श्रीगंगानगर) के प्रबंध निदेशक नरेन्द्र कुमार बोहरा, तत्कालीन उप रजिस्ट्रार महाप्रबंधक कॉपरेटिव सोसायटी (नागौर) अशोक कुमार गोयल, मुख्य चिकित्साधिकारी (नीमकाथाना) डॉ. प्रहलाद राय जैफ, एडीएम गंगानगर लालचन्द ओझा, अधिशासी अभियंता पीएचईडी राजगढ़ पी.सी.शर्मा, तत्कालीन एडीएम श्रीगंगानगर लालचन्द ओझा और हरलाल सहारण,  अधिशासी अभियंता नगर परिषद भीलवाड़ा बी.एम. लकवाल, तहसीलदार बिजोलिया करतार सिंह मीणा, उप पंजीयक नाथद्वारा सुरेश कुमार बुनकर, तहसीलदार कोलायत बच्चन सिंह, तहसीलदार जैसलमेर विशन स्वरूप निरानियां, तहसीलदार चित्तौड़गढ़ छीतर लाल वर्मा, नायब तहसीलदार कैलाश चंद, विकास अधिकारी सुजानगढ़ सुजाराम डाबरिया, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कोलायत रणसिंह श्योराण, प्रो.राधामोहन खण्डेलवाल राजस्थान विश्वविद्यालय, अधिशासी अधिकारी किशनाराम सिंगवा, अग्निशमन अधिकारी नगर निगम जयपुर चन्द्र मोहन पारीक, एक्सईएन बीकानेर सुभाष मोगा, अधिशासी अधिकारी हनुमानगढ़ मदन सिंह, उप नगर नियोजक द्वितीय नगर निगम जयपुर चन्द्रशेखर पाराशर, अधिशासी अधिकारी सार्दुलशहर शंकर दास स्वामी, अधिशासी अधिकारी डूंगरपुर दिनेश चन्द शर्मा, अधिशासी अभियंता अलवर पी.के.जैन,  राजसमन्द नगर पालिका के तत्कालीन आयुक्त नारायण सिंह सांदू, शाखा प्रबंधक नैफेड जयपुर सुभाष सिंह, सैक्शन इंजीनियर रेलवे चूरू राधेश्याम, आयकर अधिकारी जोधपुर राजेन्द्र सिंह सिसोदिया, अधीक्षण अभियंता राज.डवलपमेन्ट कार्पोरेशन जयपुर रामेश्वर सिंह आदि के खिलाफ लम्बे समय से अभियोजन स्वीकृति नहीं मिली है।
इन्होंने ले रखा है स्थगन आदेश
केन्द्रीय सहकारी बैंक भीलवाड़ा के निदेशक पी.आर. आमेरिया, एसडीमए श्रीकरणपुर गंगानगर सुभाष महरिया, सहायक वाणिज्य कर अधिकारी बारां महावीर प्रसाद, एसई (खनिज) भीलवाड़ा मोतीलाल मरमट, खनिज अभियंता भरतपुर मधुसूदन पालीवाल आदि ने हाईकोर्ट से स्थगन आदेश ले रखे हैं।
  जवाब तक नहीं भेजते
एसीबी और अन्य जांच एजेन्सी आरोपित अफसर और कर्मियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति जारी के लिए पत्र लिखती रहती हैं, लेकिन कार्मिक तथा अन्य सरकारी विभाग पत्रों का जवाब तक नहीं देते। पांच-सात साल या इससे अधिक समय बीतने पर एसीबी को मजबूरन अदालत में एफआर पेश करनी पड़ती है।

1 टिप्पणी:

  1. इनका इलाज तो भाईजान, जनता का झपाटा ही है। बगैर क्रांति के कुछ न होगा। दुखद है यार ये सलीका-ए-सियासत।

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