सड़कों पर नहीं है ढलान
पीडब्ल्यूडी के रिटायर्ड एसई जसवंतसिंह चौधरी का कहना है कि सड़क निर्माण करते समय दोनों तरफ ढलान ठीक न हो तो पानी की निकासी नहीं हो पाती है। ऐसे में सड़क पर भरा पानी कच्ची जगह से सड़क को डेमेज कर देता हैं। तुरंत मरम्मत नहीं होने पर डेमेज बढ़ता जाता हैं।
मॉनिटरिंग सही नहीं
पीडब्ल्यूडी के रिटायर्ड एसई पदमसिंह सिरोही ने बताया कि डामर सड़क के लिए पानी का भराव घातक है। फाउंडेशन सिस्टम भी अगर तकनीकी मापदंडों के अनुसार नहीं बनता है तब भी सड़क को नुकसान पहुंचता है। कार्य की गुणवत्ता की सही मॉनिटरिंग नहीं होने से तकनीकी खामी छूटती है। मैं कई अन्य शहरों में रहा लेकिन इतनी टूटी सड़कें कहीं नहीं देखी।
किससे कहें, कोई नहीं सुनता
गड्ढों भरी राह में समय और पेट्रोल-डीजल भी ज्यादा खर्च होता है। मैं कार से हर माह करीब चार हजार रुपए डीजल पर खर्च कर रहा हूं। अगर सड़कें ठीक हो तो खर्च में कमी होगी। मरम्मत खर्च भी कम होगा। एक बार बैलेंसिंग व अलाइनमेंट का खर्च करीब 500 रुपए आता है। गड्ढों के कारण कार में यह परेशानी बार-बार आती है। किससे कहें अपनी पीड़ा। कोई नहीं सुनने वाला।""
-गिरीश गौतम, व्यवसायी, महावीर नगर द्वितीय
ऐसे हैं हमारे शहर के रास्ते
* एरोड्रम से घोड़ा बाबा सर्किल - 22 बड़े गड्ढे
* घोड़ा बाबा सर्किल से सीएडी सर्कल - 25 मीटर लंबी सड़क उखड़ी
* सीएडी से चंबल गार्डन तक - 34 बड़े गड्ढे
* गढ़ पैलेस से कोटा बैराज तक व तलवंडी चौराहा- सड़क उखड़ी
* जेडीए सर्किल से सरस दूध डेयरी सर्किल - 4 जगह धंसी सड़क
* केशवपुरा सर्किल से कॉमर्स कॉलेज- 50 गड्ढे
* महावीरनगर द्वितीय में खंडेलवाल नर्सिग होम मार्ग - 20 बड़े व 15 छोटे गड्ढे
* किशोरपुरा एलिवेटेड रोड से चंबल गार्डन, विज्ञाननगर- संजय नगर- अधिकांश सड़क उखड़ी
* गढ़ पैलेस से कैथूनी पोल, गंधी जी की पुल, श्रीपुरा मार्ग - 70 गड्ढे
* छत्रपुरा आरटीओ कार्यालय से मीणा हॉस्टल तक - 12 गड्ढे
ऐसे भर सकते हैं बारिश में गड्ढे
आरटिया में सिविल के एचओडी प्रो.एनपी कौशिक का कहना है कि कर्नाटक में सड़कें वेस्ट प्लास्टिक को बिटुमन में मिक्स करके बनाई जा रही हैं, जो एन्वायरनमेंट फ्रेंडली भी हैं। इससे शहर के प्लास्टिक कचरे का निस्तारण भी होगा और गड्ढे भी भरे जा सकते हैं। मुख्य सड़कों का स्लोप डिजाइन सही नहीं होने से सड़कें ज्यादा क्षतिग्रस्त हो रही हैं।
कोर्ट में दे सकते हैं शिकायत
एडवोकेट विवेक नंदवानी ने बताया कि यदि सार्वजनिक मार्ग पर गड्ढ़े है और इससे किसी को क्षति होती है तो कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे मार्ग की मरम्मत के लिए सिविल न्यायालय में वाद दायर किया जा सकता हैं। जिसमें नगर निगम या पीडब्ल्यूडी को पार्टी बनाया जाता हैं।
दसवीं के छात्र की पीड़ा: कोई इनसे पूछो गड्ढों के ‘जख्म’
कोटा। शहर की बदहाल सड़कों की स्थिति का दंश हमें बार-बार झेलना पड़ रहा है। स्कूल व ऑफिस जाते वक्त इन गड्ढों में गिरकर चोटिल होने वालों की लंबी लिस्ट है। मगर प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। एमबीएस अस्पताल में गुरुवार को भर्ती हुए 10 वीं के छात्र कमलेश (15) पुत्र हीरालाल ने बताया कि स्कूल जाते समय बाइक से गड्ढ़े के कारण दोस्त के साथ गिर गया था। तब कमर में मामूली चोट लगी। उस समय तो पता नहीं चला लेकिन कुछ दिनों बाद ही दर्द उठने लगा। दो माह से दर्द को सहन कर रहा हूं, लेकिन दर्द अब सहन नहीं होता। अब डॉक्टर ने भर्ती किया है।
गर्दन व पीठ दर्द बढ़े
आथरेपेडिक सर्जन डॉ.मोहम्मद इकबाल के अनुसार, गड्ढे में हिचकोले खाते हुए वाहन में झटके लगने से 40 से ज्यादा उम्र वालों की परेशानी बढ़ रही है, वे गर्दन दर्द, पीठ दर्द, कमर दर्द या स्लिप डिस्क की शिकायत लेकर आ रहे हैं। रोज ऐसे कैसे आ रहे हैं जो गड्ढे या गिट्टी के कारण फिसलकर गिर पड़े और हाथ-पैर में फ्रेक्चर हो गया। रीढ़ की हड्डी के छल्ले खिसकने, साईटिका दर्द होने या पैर का फ्रेक्चर हो जाने पर 2 से 6 माह तक आराम करना पड़ सकता है। एक ऑपरेशन पर 10 हजार रुपए तक खर्च हो जाते हैं।
ट्रक गड्ढे में, कार बची
ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. गौरव रोहतगी ने बताया कि वे शुक्रवार को बारां से कोटा लौट रहे थे। बोरखेड़ा के पास मुख्य सड़क पर एक ट्रक का पहिया अचानक आधे फीट गहरे गड्ढे में फंस गया, जिससे उसका संतुलन बिगड़ गया, उस समय पास से गुजर रही उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त होने से बच गई। उनका कहना है कि मुख्य सड़कों पर गड्ढे जानलेवा हो गए हैं।
क्यों बर्बाद कर रहे हैं पैसा
गड्ढों में ही चलाना है तो सड़कें बनाने के नाम पर क्यों जनता का पैसा बर्बाद कर रहे हैं। गांव में भी लोग रहते ही है, यहां भी रह लेंगे। बड़े निर्माण कार्यो में गड़बड़ी के मामले पर तो प्रशासन तुरंत एक्शन लेता है, लेकिन गड्ढे किसी को नहीं दिख रहे।""
-कैलाशचंद मारवाड़ा, रिटायर्ड सरकारी वकील
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