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08 अगस्त 2011

लाल-नीली बत्ती बन रहे हैं अपराधियों का हथियार

 
 
 
जयपुर। 250 रुपए में लालबत्ती खरीदी, खुद ही लगाई और बड़ी से बड़ी वारदात के बाद आरोपी सुरक्षित शहर से बाहर निकल गए। एटीएम उखाड़ने समेत कई मामलों में यही बात सामने आई, मगर आरटीओ और पुलिस प्रशासन की नींद नहीं खुली। अब तक लालबत्ती, नीलीबत्ती बेचने वालों के लिए गाइडलाइन तक नहीं है। यहां तक कि अगर कोई अनधिकृत रूप से इसे लगाता भी है तो उसे अधिकतम सजा महज 300 रुपए जुर्माना कर छोड़ दिया जाता है।

एटीएम उखाड़ने के मामले में भी लालबत्ती का इस्तेमाल सामने आने के बाद भास्कर टीम पड़ताल करने निकली तो इन बत्तियों का कारोबार जालूपुरा, रेलवे स्टेशन और पुलिस रिजर्व पुलिस लाइन के सामने की दुकानें पर बेरोकटोक होता मिला। खरीददार से किसी भी दुकानदार ने न तो पता जाना और न ही विभाग का नाम। यहां तक की उसका आईकार्ड तक नहीं देखा गया। मार्केट में लोकल बत्तियां 250 से 600 रुपए के बीच और ब्रांडेड 1400 से 1800 रुपए के बीच बिक रही हैं।

ये हैं नियम

जिस वाहन पर लाल या नीली बत्ती लगी हुई है और वह उच्च पदस्थ व्यक्ति को नहीं ले जा रहा है तो ऐसी स्थिति में लाल या नीली बत्ती का उपयोग नहीं किया जाएगा, बल्कि बत्ती को ढक दिया जाएगा।

ये हैं लाल बत्ती के हकदार

राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय, अध्यक्ष राजस्थान विधानसभा, लोकायुक्त राजस्थान, मुख्य सूचना आयुक्त, मंत्रिमंडल के सदस्य गण, मुख्य सचेतक राजस्थान विधानसभा, नेता प्रतिपक्ष राजस्थान विधानसभा, न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय, राज्यमंत्री, उपमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा मंत्री, राज्यमंत्री के स्तर के दर्जे के लिए अधिसूचित उच्च पदस्थ गण, उपाध्यक्ष राजस्थान विधानसभा, उप मुख्य सचेतक राजस्थान विधानसभा, मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव, अध्यक्ष राजस्व मंडल, आयुक्त राज्य निर्वाचन आयोग, एडवोकेट जनरल राजस्थान सरकार, समस्त प्रमुख शासन सचिव, पुलिस महानिदेशक, संभागीय आयुक्त, रेंज प्रभारी पुलिस महानिरीक्षक, उप महानिरीक्षक, समस्त जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, समस्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश, रजिस्ट्रार जनरल उच्च न्यायालय जोधपुर, नगर निगम जयपुर, जोधपुर एवं कोटा के महापौर, समस्त जिला प्रमुख, अध्यक्ष राजस्थान लोक सेवा आयोग।

..और नीली बत्ती इनकी

जिलों में पदस्थापित समस्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जोधपुर शहर में पदस्थापित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (मोबाइल), गश्ती ड्यूटी के लिए प्रयोग में लिए जाने वाले पुलिस, आबकारी एवं परिवहन विभाग की वाहनों।

खतरा बड़ा, जुर्माना थोड़ा

आम आदमी अगर लाल-नीली बत्ती का उपयोग करता मिला तो मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 177 के अन्तर्गत प्रथम अपराध पर 100 रुपए तथा अपराध के दोहराव पर 300 रुपए का जुर्माने का प्रावधान है। इसके साथ लोक सेवकों/राज्य सेवा के अधिकारियों द्वारा अनधिकृत रूप से लाल या नीली बत्ती का प्रयोग करने पर सीसीए नियम 17/16 के अन्तर्गत अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए विभागाध्यक्ष को सूचित किया जाएगा।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

लालबत्ती बेचने पर अब तक तो कोई कार्रवाई हमने नहीं की है, लेकिन अवैध रूप से बत्ती लगाने वालों पर समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। लालबत्ती बेचने वालों के लिए कोई गाइड लाइन नहीं है। लाल-नीली बत्ती बेचने या लगाने वालों पर 300 रुपए जुर्माने की सजा है। मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 177 के में यही प्रावधान है। अनधिकृत बत्ती लगाने वाले किसी अफसर को आरटीओ ने कभी नोटिस नहीं भेजा। ट्रैफिक पुलिस ने कार्रवाई की हो तो पता नहीं। आरटीओ गाड़ी जब्त कर बत्ती हटाता है।
-डॉ. बी.एल. जाटावत, आरटीओ

ट्रैफिक पुलिस लालबत्ती वाली किसी भी गाड़ी की चेकिंग कर सकती है। अधिकृत व्यक्ति की गैर मौजूदगी में चालक लालबत्ती का उपयोग कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होती है। नाकाबंदी के दौरान नाकों पर हर गाड़ी को रोकना चाहिए। चाहे वह लालबत्ती वाली ही क्यों न हो। अनधिकृत बत्ती लगाने वालों के खिलाफ हमने वर्ष 2000 में अभियान भी चलाया था। शहर में ऐसा हो रहा है तो फिर से अभियान चलाएंगे। बत्ती बेचने वालों के लिए गाइडलाइन सरकार को बनानी चाहिए।
-रोहित महाजन, डीसीपी, ट्रैफिक

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