इस व्यक्ति को उसके परिवार वालों ने मुर्दाघर पहुंचाया था। वो जब उसे शनिवार की रात नहीं जगा पाए तो उन्हें लगा कि उसकी मौत हो गई है जिसके बाद उन्होंने एक निजी मुर्दाघर से संबंध स्थापित किया। क़रीब 24 घंटे वहां रखे जाने के बाद वो आदमी रविवार शाम को 'जाग' गया और बाहर निकाले जाने के लिए शोर मचाने लगा।
ये घटना पूर्वी केप के एक गांव की है। क्षेत्रीय स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि व्यक्ति ने तक़रीबन 24 घंटे मुर्दाघर में बिताए थे। मुर्दा समझकर वहां रखे गए व्यक्ति के शोर मचाने के बाद वहां से भाग खड़े हुए दो कर्मी बाद में वापस आए और उन्होंने एम्बुलेंस बुलवाई। बाद में उस आदमी का इलाज अस्पताल में हुआ। उसके शरीर में पानी की कमी हो गई थी।
अधिकारियों ने लोगों से आग्रह किया है कि वो किसी को भी मृत घोषित करने से पहले किसी चिकित्सक या आकस्मिक सेवा की सहायता लें ताकि पूरी जांच पड़ताल के बाद ही किसी को मरा हुआ माना जाए। हमें ये सोचना होगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि कितने लोग जो मरे नहीं थे उन्हें मुर्दाघर पहुंचा दिया गया होगा और वहां उनकी मौत हुई हो
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