

यहां दफनाया मेजर बर्टन को 15 अक्टूबर 1857 आजादी की जंग के साथ ही कोटा में भी इसका असर शुरू हो गया। यहां कोटा रियासत की फौज में प्रमुख ओहदेदार लाला जयदयाल कायस्थ व मेहराब खां ने सेना में विद्रोह कर दिया। इस दौरान आजादी के दीवानों व सेना के बीच जमकर मारकाट मची। विद्रोही सैनिक राजभवन स्थित महल जिसमें अंग्रेजों का एजेंट मेजर बर्टन रहता था में घुसे और उन्हें उनके दो बेटों को तलवारों से काट दिया। इसके साथ ही उनके अंग्रेजी व भारतीय डॉक्टर को भी मार दिया। तब बृज राजभवन को उनके गेस्टहाउस में रूप में उपयोग किया जाता था। इन तीनों अंग्रेजों को नयापुरा में दफनाया गया, यहीं बाग के पास उनकी कब्रगाह है।

रामतलाई बुर्ज पर हुआ संग्राम 1857 की लड़ाई 6 माह तक दीपावली से शुरू होकर होली तक चली। इस दौरान राजपरिवार व विद्रोही आंदोलनकारियों के बीच जमकर लड़ाई हुई। इस दौरान कोटा शासक महाराव रामसिंह अपने टिपटा स्थित गढ़ से निकल नहीं पाए। एक प्रकार से उन्हें कैद रहना पड़ा, तब उन्होंने अंग्रेजों से सहायता ली। चंबल पार से अंग्रेजी सेना को कोटा आने में पसीना आ गया। दोनों ओर से जोरदार युद्ध हुआ। आखिर में अंग्रेजी सेना के माध्यम से रियासत की सेना ने लाला जयदयाल व मेहराब खां को पकड़ लिया। इस दौरान यहां दोनों ओर की सेनाओं के बीच युद्ध हुआ,जिसमें सैकडों घोड़े दौड़े व हजारों की मौत हुई।

नीमड़ी जिस पर दी फांसी दोनों आंदोलनकारियों लाला जयदयाल व मेहराब खां को अंग्रेजी सेना के माध्यम से पकड़े जाने के बाद बृज राजभवन के सामने स्थित नीमड़ी पर फांसी पर लटकाया गया। इसके बाद ही महाराव रामसिंह टिपटा गढ़ से मुक्त हो पाए। इससे पहले जो लड़ाई हुई, उसमें पूरी धरती खून से लाल हो गई थी।

हर्बर्ट कॉलेज में होती थी बैठकें कोटा कॉलेज तब हर्बर्ट कॉलेज के नाम से जाना जाता था। यहां पढ़ने वाले छात्र नारेबाजी करते हुए जुलूस के रूप में उम्मेद क्लब तक जाया करते थे। यहां से सभी आजादी की रूपरेखा तैयार करते थे। उनकी बैठकें रामपुरा महात्मागांधी स्कूल में भी हुआ करती थी।

रामपुरा कोतवाली पर ४ दिन रहा कब्जा 13 अगस्त 1942 को महात्मागांधी की ओर से अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान किया गया। इसका असर कोटा में भी शुरू हो गया। कोटा में स्वतंत्रता सेनानियों ने रामपुरा कोतवाली पर कब्जा कर लिया। शहर के सभी दरवाजों को बंद कर दिया गया। 14 से 16 अगस्त 1942 तक इस पर स्वतंत्रता सेनानियों का कब्जा रहा। इस दौरान गुलाबचंद शर्मा पुलिस अधिकारी बने। स्वतंत्रता सेनानियों की मांग थी कि दीवान हीरालाल गोसालिया को हटाया जाए, आईजी संतसिंह को कोटा से बाहर भेजा जाए। इसके साथ ही भारत स्वतंत्र हो तो कोटा रियासत को उसमें मिलाया जाए। आखिर में महाराव को उनकी मांग माननी पड़ी। इस दौरान वकील बेनी माधव को आईजी संतसिंह ने गिरफ्तार कर लिया। इस पर उनकी पत्नी राजकुमारी ने कोतवाली के दरवाजे पर आईजी को थप्पड़ मारा था
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)