भीलवाड़ा/जयपुर। प्रदेश में अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्रित्व काल में विभिन्न कारणों से 43 स्थानों पर हुई पुलिस फायरिंग में 15 डकैतों सहित कुल 105 लोगों की मौत हुई है। तीन मामलों में हुई तीन मौतों का तो सरकार को पता है कि किसके आदेश पर फायरिंग हुई। बाकी 102 लोगों की मौत किसके आदेश पर की गई फायरिंग में हुई, यह सरकार नहीं जानती।
आरटीआई कार्यकर्ता एसएस राणावत ने मुख्यमंत्री कार्यालय से इस बात की जानकारी मांगी थी कि वर्ष 1998 से लेकर आज तक कितनी बार पुलिस फायरिंग की गई और उसमें कितने लोग मारे गए। साथ ही यह फायरिंग किसके आदेश पर की गई। इस संबंध में अतिरिक्त महानिदेशक अपराध शाखा की ओर से उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह फायरिंग किसके निर्देश पर की गई इसकी सूचना उपलब्ध नहीं है।
वसुंधरा राजे के शासनकाल में 7 डकैतों सहित कुल 79 लोग मारे गए। इनमें सर्वाधिक लोग दौसा जिले के दुब्बी में 20 व डूमरिया रेल्वे स्टेशन के पास भरतपुर में 16 लोग मारे गए। गहलोत के पूर्व शासनकाल में मारे गए चौदह लोगों में से तीन डकैत बिजौली धौलपुर में मारे गए। वरिष्ठ एडवोकेट गोपीचंद वर्मा का कहना है कि दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत किसी भी स्थिति में बिना मजिस्ट्रेट के आदेश के फायरिंग नहीं की जा सकती।
13 साल में 43 बार फायरिंग
> अशोक गहलोत का वर्तमान कार्यकाल (14 दिसंबर 2008 से 31 दिसंबर 2010) में ११ जगह फायरिंग, कुल 12 लोगों की मौत।> वसुंधरा के मुख्यमंत्रित्व काल (9 दिसंबर 2003 से 13 दिसंबर 2008) में २२ जगह फायरिंग, कुल 79 लोग मरे।> अशोक गहलोत के पूर्व कार्यकाल (1 दिसंबर 1998 से 8 दिसंबर 2003) में १क् जगह फायरिंग, 14 लोग मारे गए।
सरकार को सिर्फ 3 आदेशों की जानकारी
वसुंधरा राजे के कार्यकाल में नई व पुरानी मंडी घडसाणा में हुई फायरिंग एसडीएम के निर्देश पर हुई जबकि अशोक गहलोत के कार्यकाल में कस्बा रोहिडा जिला सिरोही में एसडीएम तथा भादरा हनुमानगढ़ में एसीएम के निर्देश पर फायरिंग हुई। शेष की जानकारी सांख्यिकी विभाग सीआईडी सीबी के पास उपलब्ध नहीं है।
यह संभव ही नहीं
यह संभव ही नहीं है कि फायरिंग के आदेश देने वाले का रिकॉर्ड न हो। फायरिंग की हर घटना के बाद न्यायिक जांच के आदेश होते हैं और आम तौर पर संभागीय आयुक्त जांच करते हैं। जांच रिपोर्ट में फायरिंग के कारणों और जिम्मेदार लोगों का उल्लेख होता है।-पीके देब, अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग
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