आपका-अख्तर खान

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23 जुलाई 2011

dukaandaar ko milaa aese chkmaa kmaai kaa

कल हम हमारे लड़के शाहरुख़ खान को अमिटी नोयडा में बी टेक कम्प्यूटर साइंसे ने एडमिशन रिपोर्टिंग के लियें गए थे ..बच्चे को में बिल्डिंग का हॉस्टल बता कर पुराणी बिल्डिंग का होस्टल दिया गया सभी बच्चों को जब दूसरी बिल्डिंग का हॉस्टल मिला तो पहले एतराज़ हुआ फिर सभी को मन्ना पढ़ा ...खेर बच्चे को लेकर सामान दिलवाने गए बाल्टी , मग्गे जरूरी चीजें खरीदना थी लेकिन उफ़ नोयडा तो लुट और महंगाई में कोटा का भी बाप निकला हर चीज़ की कीमत दोगुनी से भी ज्यादा थी ..बच्चे के लियें पानी की एक बोतल भी चाहिए थी .बोतल के सत्तर रूपये की कीमत के बारे में बतायागया तो मेरी श्रीमती भन्ना गयी मेने उन्हें समझे लेकिन मियाँ वोह मानने वाली कब थी ..दुकानदार ने कहा के साहब अब तो बिल बन गया इस कीमत की कोई और दूसरी चीज़ खरीद लो बच्चे के लियें बोतल भी जरूरी थी इसलिए श्रीमती जी के दिमाग ने कम किया उन्होंने साठ रूपये की कोल्ड ड्रिंक मांगी फिर दो कोल्ड ड्रिंक साठ रूपये मेले ली ..बस एक की जगह दो बोतलें  और वोह भी मजबूत आ गयी थी साथ में कोल्ड ड्रिंक फ्री था दूकान दार सोचता रहा के बचत की यह केसी गणित है ..माल का माल लिया और बोतले भी एक नहीं दो फ्री ले गए जनाब उस वक्त दुकानदार की शक्ल देखने लायक थी फिर तो क्या सभी दूरदराज़ से आये लोगों ने यही फार्मूला अपनाया ओर्पुरे नोयडा सेक्टर ४४ में जो एक दुकानदार बच्चों की लुट से काफी कमा लेता उसकी कमाई को धक्का लग रहा था आखिर में उसने कोल्ड ड्रिंक की सभी बोतलें हटा दिन और फिर कोल्ड ड्रिंक होने से इंकार करने लगा लेकिन बस फिर तो दो या तीन ही ग्राहक बचे थे हम सोचते रह बेचारा दुकानदार इस जुगाड़ के लियें श्रीमती रिजवाना जी को बुराई दे रहा होगा .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

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