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08 जुलाई 2011

दोस्ती की ऐसी मिसाल, जिसे सुन आप कहेंगे 'दोस्ती तुझे सलाम'

दोस्ती की ऐसी मिसाल, जिसे सुन आप कहेंगे 'दोस्ती तुझे सलाम'

 

 
 
 
 
 
अहमदाबाद। पुलिस सब इंस्पेक्टर भूपेंद्र सरवैया और रमेश जादव बात करते हुए कुछ झेंपते हैं। लेकिन हमारी कुछ जिद के बाद वे कहते हैं - हम कोई उपकार नहीं कर रहे, बस हम तो दोस्त होने का फर्ज अदा कर रहे हैं और मनु की मां को इस बात का अहसास कराना चाहते हैं कि भले ही उसका बेटा पुलिस सब इंस्पेक्टर (पीएसआई) न बन सका लेकिन उसके 171 बेटे तो गुजरात पुलिस में पीएसआई हैं।
आईए जानते हैं दिल को छू जाने वाली इस कहानी के बारे में कि मनु कौन था? एक पीएसआई रतु चौधरी के शब्दों में - हमारे साथ पुलिस सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग ले रहा मनु गरासिया का जब पीएसआई के रूप में चयन हुआ तब लोगों के घरों में काम कर घर का गुजर-बसर करने वाली उसकी विधवा मां दलीबहन की आंखों से निकलते खुशी के आंसू थम नहीं रहे थे। लेकिन कुछ ही दिन बाद एक दुर्घटना में हुई मनु की मौत के बाद इस मां की आंखों से फिर आंसुओं की धारा फूट पड़ी और लेकिन इस बार के आंसू खुशी के नहीं बल्कि कभी न खत्म होने वाले दर्द के थे।
रतु चौधरी आगे बताते हैं कि 'मनु की मौत के बाद हमारी बैच के 171 जवानों ने तय किया कि वे मनु की मां को कोई तकलीफ नहीं पहुंचने देंगे और सभी जवानों ने अपनी तनख्वाह से 3 लाख रुपए एकत्रित किए और मनु की मां के लिए गांव में एक मकान खरीदा और कुछ पैसे उनके खाते में भी जमा करवाए।Ó इसके बाद भी सभी 171 जवानों ने मनु की मां की हर तरह से मदद करना जारी रखा है और वे हर महीने कुछ पैसे उनके बैंक अकाउंट में जमा करवाते हैं। इस बारे में सभी जवानों का यही कहना है कि एक दोस्त और मां के लिए यह करना तो हमारा फर्ज है।
मनु की कहानी आगे बढ़ाते हुए रतु बताते हैं कि मूल पंचमहल के करंबा गांव में रहने वाले वालजीभाई गरासिया रोजगार की तलाश में आणंद के पास जीटोडिया गांव में बस गए। जहां कुछ समय बाद वालजीभाई की मौत हो गई और घर की सारी जिम्मेदारी मनु की मां दलीबहन पर आ गई। उन्होंने लोगों के घरों में काम करके मनु को किसी तरह पढ़ाया। मनु की इच्छा पीएसआई बनने की थी, लेकिन उसका चयन पुलिस कांस्टेबल के पद पर हो गया। इसके बाद मनु का पीएसआई के इंटरव्यू में भी चयन हो गया और मां दलीबहन खुशी से झूम उठी। लेकिन मां की यह खुशी ज्यादा दिनों की नहीं थी और कुछ ही समय बाद एक सड़क दुर्घटना में मनु की मौत हो गई।
भगवान की कृपा दृष्टि मनु को दोस्तों पर पर हमेशा बनी रहे : दलीबहनमनु की बात करते ही दलीबहन की आंखें आंसुओं से भर गईं और सिसकते हुए उन्होंने कहा कि भगवान की कृपा दृष्टि मनु के दोस्तों पर हमेशा बनी रहे। मेरे बेटे की मौत के बाद इन्ही जवानों की वजह से मैं जीवित हूं जो हमेशा मेरी मदद करते हैं, क्योंकि अब बुढ़ापे में मेरा शरीर ऐसा नहीं रहा कि मैं कोई काम कर अपने लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम भी कर सकूं।
मैग्जीन में मनु की फोटो के साथ उसकी मां का बैंक अकाउंट नंबर भी छपवाया।वर्तमान में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत सी.आर. राणा और नीलेश गोस्वामी बताते हैं कि जब हमारी ट्रेनिंग पूरी हुई तब बैच को लेकर प्रकाशित एक मैग्जीन में हमने मनु की फोटो छपवाई और उसके साथ ही मनु की मां के लिए खुलवाए गए बैंक अकाउंट का नंबर भी प्रकाशित करवाया, जिससे कि बैच के सभी जवान मां के अकाउंट में कुछ पैसा जमा कराते रहें और अपने दोस्त के लिए लिया गया वचन हमेशा याद रख सकें।

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