इधर लालसिंह की मां पवन कंवर अपने बेटे को गोली लगने की खबर सुनने के बाद से दुखी हैं, लेकिन फिर भी एक उम्मीद मन में है कि पहले की तरह बेटा मौत को मात देकर फिर से सकुशल लौट आएगा।बीजेएस कॉलोनी में अपनी बेटी सीमा व बेटे भोमसिंह के साथ रहने वाली ओमकंवर को सुसराल वालों ने जब सूचना दी कि लालसिंह आतंकियों की गोली से घायल हो गए हैं, तो मानो पैरों के नीचे जमीन खिसक गई। वे हिम्मत जुटा कर सुसराल चली गईं, लेकिन उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें बुधवार रात अस्पताल में भर्ती कराया गया। गुरुवार को जब भास्कर संवाददाता ने उनसे मुलाकात की तो वे रोते हुए पूछने लगी कि वे फोन क्यों नहीं कर रहे?
देश सेवा का जुनून था लालसिंह में
लालसिंह के बड़े भाई भीम सिंह ने बताया कि लालसिंह में देश सेवा का ऐसा गजब का जुनून था कि वे आतंकियों या सीमा पार दुश्मन से लड़ने का कोई मौका नहीं गंवाना चाहते थे। वे तीन साल बाद रिटायर होने वाले थे। उन्हें पिछली बार गोली लगने पर जम्मू कश्मीर की बजाय दूसरी जगह पोस्टिंग लेने के लिए दबाव डाला गया, मगर वे नहीं माने। वे हमेशा कहते थे कि आतंकियों से लड़ते मौत भी आ जाए तो गम नहीं।
दो दिन पहले ही तो आने का वादा किया था
ओमकंवर ने बताया कि मंगलवार रात लालसिंह का फोन आया था। उन्होंने अगले सप्ताह दो महीने की छुट्टी पर आने का वादा किया था। वे रोजाना रात को फोन कर घर के हाल-चाल पूछने के साथ घाटी के माहौल के बारे में बातचीत करते थे। तमाम आशंकाओं के बावजूद ओमकंवर बोलीं, बस एक बार उनसे फोन पर बात हो जाए तो चैन आ जाए।
राखी बांधने आने वाली थीं बहनें
लालसिंह इस बार रक्षा बंधन जोधपुर में मनाने वाले थे। उनकी मुंबई में रहने वाली बहनें सागर कंवर व खम्मा कंवर भाई को राखी बांधने जोधपुर आने वाली थीं। जब उन्हें भाई के शहीद होने की खबर मिली तो वे दोनों जोधपुर आ पहुंचीं। हालांकि वे अपनी मां व भाभी के सामने भाई के खोने की पीड़ा को छुपाए हुए हैं, लेकिन बहनों के भी पहुंचने से पवन कंवर व ओमकंवर की घबराहट बढ़ती जा रही है।
ढाई साल पहले ही बनाया घर
बीस साल से सेना में नौकरी के दौरान आतंकियों से मुकाबला करते रहे लालसिंह की बेटी सेंट्रल स्कूल में बारहवीं और बेटा नवीं कक्षा में पढ़ते हैं। उनकी पढ़ाई के लिए ढाई साल पहले बीजेएस कॉलोनी में मकान बनवाया था। ओमकंवर यहां दोनों बच्चों के साथ रह रही हैं।
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