रेलवे की सुस्ती हादसों का कारण
नई दिल्ली। रविवार को हुई कालका रेल दुर्घटना कोई पहला हादसा नहीं है। हर साल कई ट्रेन हादसे हो रहे हैं। कुछ बड़े, तो कुछ छोटे। प्रत्यक्ष रूप से तो कई हादसों का कारण तकनीकी या मानवीय भूल नजर आता है, मगर सच कुछ और ही है। हादसों के लिए सीधे तौर पर रेलवे की सुस्त चाल ही जिम्मेदार है।
रेलवे बोर्ड के सदस्य यातायात रह चुके वी.एन. माथुर ने विशेष बातचीत में बताया कि अब समय आ गया है जब रेलवे यातायात सिस्टम में अपग्रेडेशन की प्रक्रिया तेजी से पूरी करे। एसीडी का सभी व्यस्ततम मार्गाें पर प्रमुखता से उपयोग किया जाना चाहिए। इसके साथ सिगनल व ट्रेक को अपग्रेड करने एवं मानव रहित कॉसिंग की समस्या समाप्त करने के अलावा चालकों व सहयोगियों को दूरभाष उपकरण से लैस किया जाना चाहिए।
एसीडी की धीमी प्रक्रिया
उन्होंने कहा कि ये उपाय बरसों से लम्बित हैं, इस दिशा में काम हो रहे हैं लेकिन जिस तेजी की अपेक्षा है, वैसा नहीं हो रहा है। कोंकण व नार्थ इस्ट फ्रंटियर में एसीडी सिस्टम लगाया जा चुका है।
वायुसेना का राहत अभियान
इधर,वायुसेना की प्रवक्ता स्क्वाड्रन लीडर प्रिया जोशी ने बताया कि पीडितों को राहत पहुंचाने के लिए दो चेतक हेलीकॉप्टर, दो एम आई-17, दो एवरो और एक आई एल-76 विमान को राहत कार्य में जुटाया गया है। रविवार को एवरो विमान से छह सौ किलो ग्राम दवाइयां और राहत सामग्री तथा रेलवे अधिकारियों के दल भेजे गए।
एंटी कोलीजन डिवाइस: महत्वपूर्ण रक्षक
2000 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे सभी ट्रेनों में एसीडी लगाने में
4000 यात्री व माल ट्रेनों में लगना है एसीडी
क्या है एसीडी?
यह एक तरह का अलार्म है, जो ड्राइवर के केविन में लगेगा। एक ही ट्रैक पर दूसरी ट्रेन होने या ट्रेनों के बेहद करीब से गुजरने पर यह चेतावनी के रूप में बजता है।
ऎसे करेगा काम
यह ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) पर आधारित है। यात्री ट्रेनों के एक ही ट्रैक पर होने की सूचना यह एक किमी पहले, जबकि माल गाडियों के एक ट्रैक पर होने की दो किमी पहले ही दे देगा।
ड्राइवर को संकेत
गाडियां एक टै्रक पर करीब होने पर यह ड्राइवर को संकेत देगा कि इमरजेंसी ब्रेक लगाओ। पास-पास बने ट्रैकों पर दूसरी ट्रेन आने पर भी यह जानकारी उपलब्ध कराएगा।
हाल के ट्रेन हादसे
20 सितंबर 2010 मप्र के शिवपुरी में ग्वालियर इंटरसिटी मालगाड़ी से टकराई, 33 की मौत, 160 घायल।
19 जुलाई 2010 पश्चिम बंगाल में उत्तर बंग एक्सप्रेस और वनांचल एक्सप्रेस की टक्कर, 62 की मौत, 150 से ज्यादा घायल।
28 मई 2010 पश्चिम बंगाल में संदिग्ध नक्सली हमले में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पटरी से उतरी, 170 लोगों की मौत।
16 जनवरी 2010 उप्र में टुंडला के नजदीक श्रमशक्ति को कालिंदी एक्सप्रेस ने पीछे से टक्कर मारी, 3 की मौत, 14 घायल।
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