नदी में 3 घंटे फंसे रहे 14 जने
भीलवाड़ा/सलावटिया। मेनाल के विख्यात झरने के मुहाने पर 'अपनों' को फंसा देखकर किनारे खड़े परिजनों की सांसें अटक गई। पानी का बहाव तेज था और चौदह जिंदगियां दांव पर लगी थीं। चारों ओर पानी और उसमें घिरे परिवार के सदस्यों की जिंदगी सांसत में आने से महिलाओं और बच्चों की रूलाई से खुशी का माहौल सन्नाटे में बदल गया।
पेड़ पर चढ़ बचाई जान
पानी का बहाव चट्टान से काफी ऊपर तक हो गया। चट्टान पर खड़े सात लोगों को पेड़ पर चढ़कर जान बचानी पड़ी। सात अन्य एक चट्टान को पकड़ कर बैठ गए। पानी का बहाव बढ़ता जा रहा था। इससे चट्टान पर बैठे लोगों की सांसें ऊंची-नीची होती रही। पलभर में पिकनिक का आनंद धूमिल हो गया।
चारों ओर चीख-पुकार मच गई। बहाव तेज होने से कोई बचाव के लिए आगे नहीं आ पा रहा था। पर्यटकों के फंसने की जानकारी मिलते ही बेगूं तहसीलदार मदनसिंह, पुलिस उप अधीक्षक पूनमाराम, थानाधिकारी विक्रमसिंह सहित कई अघिकारी मौके पर पहुंचे व लोगों की सहायता से राहत कार्य शुरू किया।
डूबते को रस्सी का सहारा
बचाव दल ने रस्सी के भारी पत्थर बांध कर बहाव में डाला ताकि पानी में अटके लोगों तक पहुंचा जा सके। चित्तौड़गढ़ से भी दो दमकल मेनाल भेजे गए। मौके पर बड़ी संख्या में लोग जमा थे तथा जाप्ता तैनात किया गया। पानी में फंसे लोगों को एक-एक कर बाहर निकालने के दौरान अंधेरा होता जा रहा था।
ऎसे में देरी होने पर लाइट का बंदोबस्त करने में भी पुलिसकर्मी जुट गए। बचाव कार्य के दौरान एक व्यक्ति हिम्मत कर रस्सा पेड़ से बांध कर बहाव में उतर गया और पेड़ पर चढ़े युवकों तक पहुंच गया। पेड़ पर रस्सा बांध कर ब्यावर के शब्बीर अली व मुस्तफा अली को निकाल लिया गया। धीरे-धीरे एक के बाद एक रात्रि साढ़े सात बजे तक सभी को निकल लिया गया।
मेनाल में बहार
मेनाल में बहाव में फंसे पर्यटक ब्यावर व चित्तौड़गढ़ के थे। ब्यावर से परिवार के 12-13 जने मेनाल आए थे। इनमें से सात जने बहाव में फंसने से पेड़ पर चढ़े। ये युवक ब्यावर में चौहान कॉलोनी के रहने वाले बताए गए। शेष 7 जने चित्तौड़गढ़ के दाऊदी बोहरा समाज के थे। एक तरफ रविवार की छुट्टी का दिन और ऊपर मानसून की मेहरबानी के चलते दोपहर तक चौतरफा पर्यटक दिखाई दे रहे थे। शाम साढे चार बजे मेनाली नदी में अचानक पानी का बहाव तेज हो गया। महिलाओं और बच्चों को निकाला गया, लेकिन बचाव के दौरान चौदह जने पानी के बीच फंस गए।
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