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10 जुलाई 2011

न्यूरोसर्जरी में आई एडवांस टेक्नोलॉजी

न्यूरोसर्जरी में आई एडवांस टेक्नोलॉजी

 
 
 
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कोटा. अब न्यूरोसर्जरी में एडवांस टेक्नोलॉजी आ गई है। एंडोस्कोप सर्जरी से एक छोटे से चीरे से बड़ा ऑपरेशन सहजता से हो सकेगा। एंडोस्कोप से कमर डिस्क की सर्जरी संभव हो चुकी है। न्यूरोसर्जरी में न्यू एंड एडवांस टेक्नोलॉजी आ चुकी है। यह कहना था देशभर से आए न्यूरो फिजिशियन, सर्जन एवं एनेस्थेटिक का। उन्होंने बताया कि जहां पहले लोग ब्रेन व डिस्क संबंधित बीमारियों को लेकर परेशान होते रहते थे। कोमा में जाने के बाद इंसान के बचने की संभावना कम मानते थे, लेकिन अब कोमा के बाद इंसान को बचाया जा सकता है।

डेढ़ सेमी चीरे से इलाज: नई दिल्ली के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. राजेश आचार्य ने बताया कि एंडोस्कोप सर्जरी में छोटे से चीरे से बड़ा ऑपरेशन संभव हो गया है। डिस्क सर्जरी में डेढ़ इंच के चीरे से मरीज का इलाज हो सकता हैं। इसमें एक सप्ताह के स्थान पर 24 घंटे में यह होने लगा है। इस तकनीक में पहले ब्लड की जरूरत पड़ती थी। अब ऐसा नहीं होता है। लाइफ स्टाइल बदलने से ब्रेन की बीमारी बढ़ी है। हैल्थ के प्रति अवेयर नहीं होना व फास्ट फूड, पीजा का इस्तेमाल अधिक होना भी एक वजह है।

अब छह घंटे के बाद पैरालिसिस रोगी ठीक: न्यूरो इंटरवेंशनिस्ट डॉ. विपुल गुप्ता ने कहा कि अब छह घंटे बाद पैरालिसिस रोगी को ठीक किया जा सकता है। वर्तमान में स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार की जरूरत हैं। न्यूरो एनेस्थेटिक डॉ. मेरी अब्राहम ने कहा कि यदि आईसीयू में केयर नहीं हो तो न्यूरोसर्जन की मेहनत बेकार चल जाती है। अब यह टेक्नोलॉजी आ गई है कि आईसीयू के मॉनिटर में खून की स्थिति, ऑक्सीजन, कार्बन डाईऑक्साइड तथा ब्रेन संबंधित जानकारी मिल जाती है। डॉ. प्रकाश ने कहा कि पहले शुरुआती दौर में ब्रेन संबंधित बीमारी का इलाज सामान्य होता था। पहले के मुकाबले आज न्यूरोसर्जन की तादाद भी बढ़ी हैं।

ऑपरेशन का लाइव प्रसारण: आईएमए व सुधा अस्पताल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सेमिनार में डॉ. कृष्णहरि शर्मा एवं डॉ. राजेश आचार्य ने दो ऑपरेशन एवं उसके प्रोसीजर्स कर दूरबीन द्वारा रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन, मस्तिष्क के ऑपरेशन, दूरबीन द्वारा नाक के रास्ते से पिट्यूटरी ग्रंथी को निकालने की सर्जरी का लाइव प्रसारण बताया गया। साथ ही ऑपरेशन्स का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा अस्पताल के कॉन्फ्रेंस हाल में मौजूदा डॉक्टर्स ने इस देखा। सेमिनार में बताया गया कि भारत में डॉक्टर का हाथ इतना मजबूत है कि उनकी देश-विदेश में पहचान बन गई है। अब मेडिकल टूरिज्म में यहां पर विश्व के कई मरीज यहां ऑपरेशन, इलाज के लिए आ रहे हैं। इससे मेडिकल टूरिज्म विकसित होने लगा है।

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