पत्रकार को पुलिस अधिकारी ने दी 'एनकाउंटर' की धमकी
कोटा। कोटा में हेलमेट नहीं लगाने वाले लोगों से मारपीट करने की शिकायत की हकीकत जानने पहुंचे राजस्थान पत्रिका के दो संवाददाताओं के साथ मंगलवार शाम एक प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी ने दुर्व्यवहार किया और जबरन अवैध हिरासत में रखा।
चौधरी ने संवाददाताओं को एनकाउन्टर करने की धमकी दी। सूचना मिलने पर शहर के पत्रकारों में रोष फैल गया। वे पुलिस अधीक्षक से मिले। शहर पुलिस अधीक्षक की दखल के बाद पत्रकारों का गुस्सा शांत हुआ। एसपी ने पूरे प्रकरण की जांच एएसपी हनुमान मीणा को सौंपी है।
यह थी शिकायत
कुन्हाड़ी थाने में तैनात प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी के बारे में लगातार शिकायत मिल रही थी कि वे रोजाना शाम को कोटा बैराज पर हेलमेट जांच अभियान चलाते हैं और बिना हेलमेट वालों को बेरहमी से पीटते हैं। कई बुजुर्गो व महिलाओं के साथ जा रहे लोगों से भी उन्होंने ऎसा ही बर्ताव किया। अपराधियों के साथ पुलिस की सख्ती समझ में आती है, लेकिन आम जनता के साथ कानून हाथ में लेने से पुलिस की गलत छवि जनता में जाती है।
पत्रकारों में रोष, एसपी से मिले
घटना की सूचना मिलने के बाद पत्रिका ने पुलिस अधीक्षक प्रफुल्ल कुमार को वाकया बताया। चंद मिनटों में ही यह खबर शहर के पत्रकारों में भी आग की तरह फैल गई। पुलिस अधीक्षक ने चौधरी से बात की, लेकिन चौधरी नहीं माना और दोनों संवाददाताओं को लेकर कुन्हाड़ी थाने चला गया।
बाद में एसपी ने पुलिस उपाधीक्षक संजय गुप्ता को कुन्हाड़ी थाने भेजा और दोनों संवाददाताओं को नयापुरा थाने पर बुलवा लिया। इसी बीच, शहर के तमाम पत्रकार थाने पहुंच गए और चौधरी को मौके पर बुलाने की बात कही तो एसपी ने चौधरी को तलब कर लिया। पत्रकारों के प्रतिनिधिमण्डल से वार्ता के बाद जांच बैठा दी गई। विधायक ओम बिड़ला, भवानीसिंह राजावत, प्रदेश कांगे्रस प्रवक्ता पंकज मेहता, प्रेस क्लब अध्यक्ष धीरज गुप्ता, सचिव हरिमोहन शर्मा, जार के अध्यक्ष नीरज गुप्ता ने घटना की निंदा की।
'संवाददाताओं की ओर से लिखित में शिकायत दी गई है। शिकायत को गंभीरता से लिया गया है और जांच एएसपी को सौंपी गई है। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुरूप कार्रवाई होगी।'
-प्रफुल्ल कुमार, पुलिस अधीक्षक [शहर]
इसलिए गए थे पत्रकार
शिकायत की हकीकत जानने के लिए मंगलवार शाम को पत्रिका के दो संवाददाता सकतपुरा में जल संसाधन विभाग कार्यालय के पास पहुंचे। करीब आधे घंटे तक दोनों भीड़ में ही खड़े रहे। संवाददाताओं की मौजूदगी की भनक चौधरी को लगी तो उन्होंने दो कांस्टेबल भेजकर संवाददाताओं को पकड़ कर अपने पास बुलवा लिया।
संवाददाता ने अपना परिचय दिया, लेकिन चौधरी अभद्रता करते हुए बोले, 'तुम पिटाई का स्टिंग ऑपरेशन करने आए हो, मैं तुम्हारा एनकाउन्टर कर दूंगा। इसके बाद उन्होंने दोनों को जिप्सी में बैठा दिया। इस दौरान चौधरी हंगामा करता रहा व जिप्सी में घुस कर एक संवाददाता से मारपीट कर दी।
आजकल पुलिस द्वारा पत्रकारों के साथ किये जा रहे दुर्व्यवहार के समाचार बहुत सुनने को मिल रहे हैं, पुलिस अधिकारी अपनी दुश्मनी निकालने के कहीं-कहीं पर फर्जी केसों में फंसा रहे हैं या अवसर मिलने पर एनकाउन्टर करने की धमकी दे रहे हैं.
जवाब देंहटाएंमेरे विचार में उपरोक्त घटना में अगर आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी दोषी साबित होते हैं.तब इनसे शरीर पर खाकी वर्दी पहनने का अधिकार वापिस ले लेना चाहिए. इससे पुलिस अधिकारीयों यह अहसास हो जाए कि-यह खाकी वर्दी का ही सम्मान करते हैं और इसकी साफ़-सफाई का खर्च भी जनता की जेब से आता है. अगर तुम्हारा व्यवहार जनता के प्रति ठीक नहीं होगा तब तुम्हारा अंजाम भी यहीं होगा.
अगर "कोटा", राजस्थान, राजस्थान पत्रिका और पूरे देश के पत्रकार यह न करें. तब उनकी सच्ची पत्रकारिता पर लानत है.जब तुम अपने भाई कहूँ या परिवार के एक सदस्य के लिए नहीं लड़ सकते हो. तब "आम-आदमी" के लिए क्या खाक लड़ोंगे? यह मत देखो कि-यह उस "दल" के लिए, यह उस "दल" के लिए लिखता है और यह पागल "सिरफिरा" तो आम आदमी के लिखता है. आज पत्रकारों को अपना स्वार्थ छोड़कर एवं भौतिक वस्तुओं का मोह त्यागकर देश व समाज के साथ ही आम-आदमी के प्रति हो रहे अन्याय के खिलाफ एक "जन आंदोलन" चलाने की आवश्कता है.
मेरे कुछ पत्रकारिता के नाम पर वेश्यावृति करने वाले पत्रकार भाइयों से निवेदन है कि-मेरे भाई जब आप अपना स्वार्थ एवं भौतिक वस्तुओं का मोह ही नहीं त्याग कर सकते हो.तब ज़माने में बहुत से "काम" है करने को. फिर क्यों इस सम्मानजनक "पत्रकारिता" को बदनाम करते हो? पैसा तो एक वेश्या भी कमाती हैं लेकिन बदनाम होकर.क्या हम उस वेश्या से गए गुजरे है? क्या हम ऐसा करके "आम-आदमी" के अधिकारों और देश की इज्जत नहीं बेच रहे हैं? मत बेचों मेरे दिशाहीन पत्रकार भाइयों इस देश की इज्जत को.
मेरे विचार में जो सत्य लिखने से डरते हैं,वह मृतक के समान है. और फिर मत भूलो कि-गगन बेच देंगे, पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे! कलम के सिपाही गर सो गए तो वतन के मसीहा "वतन"बेच देंगे!!