छोटे पड़ रहे कानून के हाथ
कोटा। कहते हैं 'कानून' के हाथ बहुत लंबे होते हैं, लेकिन राज्य पुलिस के हाथ उन 57 हजार से ज्यादा 'भगोड़ों' तक नहीं पहुंच पा रहे, जो अरसे से न्यायालयों में वांछित हैं। इनके खिलाफ राज्य की अदालतों से विभिन्न श्रेणी के वारंट जारी हैं। इतनी बड़ी तादाद में कानून का उल्लंघन करने वाले लोग 'बाहर' हों तो चेन-ओ-अमन की कल्पना कैसे संभव है? सूबे में सर्वाधिक वारंटी कोटा रेंज पुलिस के हैं। दूसरे और तीसरे पायदान पर राजधानी स्थित कमिश्नरेट व जयपुर रेंज है।
आंकड़ों के अनुसार राज्यभर में 49476 स्थायी वारंटी, 3261 उद्घोषित अपराधी व 4406 भगोड़े खुलेआम घूम रहे हैं। इन 57 हजार 143 भगोड़ों को लेकर बरसों से सिर्फ कागज ही काले हो रहे हैं। वारंट न्यायालय से थानों और थानों से अदालत के चक्कर काट रहे हैं। समय-समय पर बतौर टॉस्क राज्य पुलिस के मुखिया ने पूरे प्रदेश में इनकी धरपकड़ को लेकर अभियान भी चलाए, लेकिन यह आंकड़ा कम होने का नाम नहीं ले रहा।
आखिर कैसे पकड़ें?
वारंटियों की धरपकड़ को लेकर राज्य के थानों की पुलिस की अपनी समस्याएं हैं। कोटा की कुन्हाड़ी पुलिस की समस्या को ही लें। कुन्हाड़ी थाना इलाके में करीब 25 वर्ष पहले थर्मल के निर्माण के समय सैकड़ों की तादाद में देश के विभिन्न राज्यों के श्रमिकों ने काम किया। ये श्रमिक अरसे तक यहां रहे और छुटपुट अपराध भी किए। इनमें से कई के खिलाफ स्थायी वारंट जारी हैं, लेकिन जब इनके बताए पतों पर पुलिस पहुंचती है तो वहां ये नहीं मिलते। सामने आता है कि पता ही गलत लिखवा रखा था।
राज्य की रेंजवार स्थिति
रेंज स्था.वा. उ. अ. भगोड़े कुल
अजमेर 6749 407 320 7476
भरतपुर 5819 620 751 7190
बीकानेर 3479 191 347 4017
कोटा 8002 761 546 9309
उदयपुर 6638 290 628 7556
जयपुर कमि. 7363 229 665 8257
जयपुर रेंज 7551 519 762 8832
जोधपुर कमि. 586 75 103 764
जोधपुर रेंज 1986 159 257 2402
(नोट : स्था. वा. से तात्पर्य स्थायी वारंटियों और उ. अ. से तात्पर्य उद्घोषित अपराधियों से हैं।)
कैसे प्राप्त होते हैं वारंट
स्थायी वारंटी : न्यायालय से बार-बार तारीख-पेशियों पर अनुपस्थित रहने और नहीं मिलने की स्थिति में पुलिस न्यायालय से यह वारंट प्राप्त करती है। इसके तहत बार-बार वारंट जारी कराने की जरूरत नहीं होती।
उद्घोषित अपराधी : बरसों तक नहीं मिलने के बाद पुलिस न्यायालय के माध्यम से ऎसे अपराधियों की उद्घोषणा जारी करवाती है। ऎसे अपराधियों की सम्पत्ति कुर्क करने का भी प्रावधान है।
भगोड़े : किसी भी मुकदमे में लिप्तता पाए जाने पर ऎसे फरार अपराधी के खिलाफ पुलिस चालान तो पेश कर देती है, लेकिन उसके खिलाफ दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 299 के तहत वारंट प्राप्त कर लेती है।
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