बारां. मानव सभ्यता के विकास के शुरुआती दौर में करीब दस हजार वर्ष पूर्व शाहाबाद के जंगलों में भी मानव के रहने के प्रमाण मिले हैं। यहां करई नदी के किनारे आगर व कुंडा खोह में पुरा अवशेषों के साथ पत्थर से बने वे औजार भी मिले हैं, जिनसे मानव शिकार किया करते थे।
बूंदी के प्रसिद्ध पुरातत्व विशेषज्ञ ओमप्रकाश शर्मा कुक्की ने तीन दिन तक इस क्षेत्र में जानकारी जुटाने के बाद गुरुवार को इसका खुलासा किया। शर्मा ने बताया कि शाहाबाद में किले के आगे कुंडा खोह के आसपास पत्थर से बने कोर ब्लेड और तीर के फलक मिले हैं। इनसे मानव शिकार किया करता था। यहां पत्थर से बनी हंटिंग बॉल्स भी मिली हैं। यह बॉल्स समूह में बड़े जानवर का शिकार करने के काम आती थीं। कुंडा खोह के अलावा कस्बाथाना के आगे आगर नामक स्थान पर भी करई नदी के किनारे ऐसे अवशेष मिले हैं। आगर में ही रंगीन पत्थर के मणके, टोंटीदार बर्तन के अवशेष, पत्थर की बॉल्स व पाषाण उपकरण मिले हैं।
नवोदय विद्यालय, अटरू के इतिहासविद डॉ. टीके शुक्ला ने इससे सहमति जताते हुए बताया कि इस प्रकार के पाषाण औजार करीब दस हजार वर्ष पूर्व मानव काम में लेते थे। यह औजार चर्ट, एगेट और चाल्सी डोनी पत्थरों के बने हुए हैं। उस समय मानव बड़े जानवर का समूह में शिकार किया करता था। एक समूह में 20-25 मानव रहते थे। डॉ. शुक्ला के अनुसार यहां मिले पुरावशेष देश में अन्य स्थानों पर मिले आदिम काल के अवशेषों जैसे ही हैं। बारां कलेक्टर नवीन जैन का कहना है कि इस संबंध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को लिखा जाएगा। साथ ही और खोज भी कराई जाएगी।
आगर में मिले सफेद पीठ वाले गिद्ध: शाहाबाद के समीप आगर गांव में दुर्लभ सफेद पीठ वाले गिद्ध (व्हाइट रंप्ड वल्चर) देखे गए हैं। यहां करई नदी की कराइयों में सामान्य लंबी गर्दन वाले गिद्धों की बस्ती है। इससे थोड़ी दूरी पर ही सफेद पीठ वाले गिद्ध देखे गए हैं। इन गिद्धों के पंखों पर अंदर की ओर सफेद रंग होता है और गर्दन पर भी सफेद रिंग बनी हुई होती है।
कलेक्टर नवीन जैन ने बताया कि जहां सामान्य गिद्ध पहाड़ों व नदियों की कराइयों में रहते हैं, वहीं सफेद पीठ वाले गिद्ध पेड़ों पर ही रहते हैं। आगर के समीप इस प्रकार के तीन-चार गिद्ध देखे गए हैं। गिद्धों की सात प्रजातियां होती हैं, जिनमें से सफेद पीठ वाले गिद्ध लुप्त होने के कगार पर हैं। आगर में इन गिद्धों को सबसे पहले शाहाबाद एसडीएम मुक्तानंद अग्रवाल ने देखा और कलेक्टर को सूचना दी।
ऐसे की पहचान: बूंदी निवासी ओमप्रकाश शर्मा वर्षो से पुरातत्व क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उनके अनुसार शाहाबाद के आसपास जैसे पुरावशेष मिले हैं, वैसे ही पुरावशेष बूंदी क्षेत्र में भी मिल चुके हैं। इसी के आधार पर शाहबाद में मिले पुरावशेषों का कालखंड व उनका महत्व निर्धारित किया जा सका।
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