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19 जुलाई 2011

तैश में आए प्रिंसिपल, कोरे कागज पर लिखी प्रॉपर्टी

 
 
कोटा. मंगलवार को गवर्नमेंट पीजी कॉलेज में छात्रों के हंगामे से तैश में आए प्रिंसिपल सुनील भार्गव ने कोरे कागज पर अपनी संपत्ति छात्रसंघ अध्यक्ष के नाम पर लिख दी। बाद में कॉलेज के लेक्चरर जोगाराम ने छात्रसंघ अध्यक्ष से वह कागज लेकर प्रिंसिपल की टेबल की दराज में रखा और मामले को रफा दफा किया। छात्रसंघ अध्यक्ष हरिप्रकाश मीणा कॉलेज में कैंटीन शुरू करवाने के लिए छात्रों के साथ आंदोलन कर रहे थे। प्राचार्य ने 10 दिन में इसकी टेंडर प्रक्रिया पूरी करने का आश्वासन दिया तो छात्रसंघ अध्यक्ष ने पूछा कि इस बात की क्या गारंटी। इससे तैश में आए प्राचार्य ने कहा कि कैसे नहीं होगा, मैंने कहा है, नहीं हो तो, ये लो मैं अपनी प्रॉपर्टी तुम्हारे नाम लिख रहा हूं।

गवर्नमेंट पीजी कॉलेज में मंगलवार को सफाई व्यवस्था के टेंडर जारी करने की प्रक्रिया चल रही थी। छात्रसंघ अध्यक्ष को पता चला तो वे कुछ छात्रों के साथ प्राचार्य के पास पहुंचे और कैंटीन का टेंडर भी इसके साथ ही जारी करने की मांग करने लगे। कैंटीन के मामले को लेकर प्रिंसिपल व छात्रसंघ अध्यक्ष मीणा के बीच काफी देर तक कहासुनी चलती रही। इसी बीच प्राचार्य ने 10 दिन में कैंटीन की टेंडर प्रक्रिया पूरी कर उसे सफाई के टेंडर के साथ ही खोलने का आश्वासन दिया। छात्र जब सहमत नहीं हुए और कहने लगे कि इस बात की क्या गारंटी। इस पर गुस्साए प्रिंसीपल भार्गव ने तैश में आकर कहा कि कह दिया तो गारंटी ही है, इसके बाद खाली कागज लेकर अंग्रेजी में लिख दिया ‘आई गिव एनी आल प्रॉपर्टी टू हरि’ और छात्रसंघ अध्यक्ष को थमा दिया। बाद में कागज को लेक्चरर जोगाराम ले लिया। समझाइश के बाद छात्र प्रिंसीपल कक्ष से बाहर आए। इस दौरान यहां छात्र नेता जितेंद्र राठौर, शिवप्रकाश मीणा, सोभागमीणा, अखलाक, अतीक मोहम्मद, अजय मेहरा, तूफानसिंह, अजय मीणा, सत्यप्रकाश मीणा सहित अन्य मौजूद थे।

यह था मामला

कॉलेज में मंगलवार को सफाई ठेके लिए टेंडर की प्रक्रिया होनी थी। इसमें छात्रों का कहना था कि सफाई के साथ कैंटीन का भी ठेका दे दिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया। छात्रों का कहना था कि कुछ महीने पहले तत्कालीन प्रिंसिपल ने कैंटीन खोलने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन राशि जमा होने के बाद टेंडर प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया।

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