कल
जो मिला करते थे
सभी के बीच में
मुझ से तपाक से
आज
ना जाने क्यूँ
उन्होंने देखा है मुझे
रूखेपन से
उन्होंने नज़रे तो मिलाईं
वोह ठिठक भी गए
शायद
मुझ से मिलने के लियें
लेकिन
ऊँचे ओहदेदार
होने के घंमंड ने
शायद उन्होंने
रोक ही दिया
मुझ से मिलाने से ..........................................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
18 जुलाई 2011
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bhaut hi acchi...
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