तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 जुलाई 2011
आज के कुछ पत्रकार कुत्ते हैं या शेर में समझ नहीं पाया .............
भाइयों और खासकर पत्रकार भाइयों मेरी किसी भी बात का कोई भी प्लीज़ बुरा ना माना क्योंकि में खुद भी इस जमात में शामिल हूँ और जो भी बात मेरे जरिये कहलवाई जा रही है वोह आप जेसे लोगों के लियें नहीं केवल बीस प्रतिशत मठाधीश पत्रकारों के लियें है .........दोस्तों कल प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम के दोरान चर्चा चल रही थी के आज के पत्रकार मालिक के गुलाम और इशारे पर चलने वाले सर्कस के शज़र हो गए हैं ,,एक भाई ने कहा के पत्रकार पहले शेर हुआ करते थे और जंगल के राजा की तरह सभी लोग उनके सम्मान में रहते थे लेकिन आज कुछ शेर झो पत्रकार हैं वोह चिड़िया घर के शेर हो गए हैं और कुछ हैं के मालिकों के नोकर बन कर उनके इशारे पर सर्कस के शेर की तरह इशारे कर रहे हैं ..यह बात चल ही रही थे के एक लघु समाचार पात्र से जुड़े भाई ने कहा के नहीं शेर नहीं कुछ पत्रकार तो आजकल कुत्ते से भी बुरे हो गए है ..भाई पत्रकार की पत्रकारों के लियें इस प्रतिक्रिया से सभी उखड गए और पूंछने लगे ऐसा केसे कहा जा रहा है ...बस फिर किया था छोटे पत्रकार जी ने बढ़ी बातें करना शुरू की पहले तो उन्होंने ने कुत्तों की किसमे और फिर उनके लड़ने का अंदाज़ अपनी अपनी गली में खुद के शेर होने के अहसास की प्रव्रत्ति के बारे में बताया और कहा के कोई भी कुत्ता दुसरे कुत्ते को पसंद नहीं करता है और गली के कुत्ते उसे दूर भगा भगा कर मारते हैं ..भाई पत्रकार ने उदाहरण दिया हाल ही में कोटा में राजस्थान पत्रिका के सीधे साधे मिशनरी पत्रकार के साथ पुलिस अधिकारी ने अभद्रता की और इस अभद्रता के बाद पत्रकारों के जो रोल रहे वोह देखने लायक थे एक बढ़े समाचार पत्र भास्कर ने तो इस मामले में खबर ही नहीं छापी और दुसरे अख़बारों ने इस खबर को समेत कर रख दिया ...हाल ही में एक छोटे पत्रकार असलम रोमी ने उनके अख़बार जगत के अपराध का दस साला जश्न मनाया ..जयपुर में मुख्यमंत्री जी की उपस्थिति में वेद व्यास जी पत्रकार ने कार्यक्रम किया लेकिन अख़बारों और मिडिया चेनल ने इस मामले में खबर ही प्रकाशित नहीं की ..कोटा में असलम रोमी जगत के अपराध के कार्यक्रम में तो कुछ लोगों ने हालत यह बना दिए के कार्यक्रम में अतिथि गन भी नहीं आयें और कोई पत्रकार इस कार्यक्रम में नहीं जाए ..बस इन उदाहरणों से हाँ समझ गए के हमारा भाई पत्रकार इन दिनों पत्रकारिता में कुत्तों की तरह से चल रही लड़ाई और पत्रकारों की परस्पर स्पर्धा में इर्ष्या के कारण ऐसा हो रहा है और इस लड़ाई में देश के अस्सी फीसदी पत्रकार भी बदनाम हो रहे हैं ..तो मेरे भाइयों पत्रकार साथियों प्लीज़ अगर हो सके तो मुझ पर नाराज़ हुए बगेर इस मामले को गंभीरता से ले के आखिर शहर में किसी के थूकने की भी खबर जब अख़बार में आती है तब पत्रकार साथियों के कार्यक्रम की खबर , प्रेस क्लब की खबर और पत्रकारों को कोई पुरस्कार या उपलब्धि मिलती है तो उसकी खबर क्यूँ प्रकाशित नहीं की जाती इस पर चिंतन पर मनन कर इसमें सुधार की जरूरत है ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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Nice post.
जवाब देंहटाएंजनाब एस. एम. मासूम साहब ने ख़बर दी है कि
चिट्ठा जगत पे आयें और अपने ब्लॉग को जोडें ब्लॉग संसार से.
उनकी यह पोस्ट हमारीवाणी अब तक 56 पाठकों द्वारा खंगाली जा चुकी है और अभी रात तक इसे पढ़ा जाता रहेगा . यह एक रिकॉर्ड है हमारी वाणी पर। जिनके बारे में हमने अभी हाल ही में कहा था कि
हिंदी ब्लॉगर्स को ‘अमन का पैग़ाम‘ दे रहे हैं जनाब एस. एम. मासूम साहब
बहरहाल,
हैरत का संबंध पहले लिंक में दी गई पोस्ट से है जिसमें यह देखकर एक सुखद आश्चर्य होता है कि जनाब मासूम साहब को अब ‘चिठ्ठाजगत.इन्फ़ो‘ के स्वामी के तौर पर भी जाना जाएगा।
क्यों है न हैरत की बात ?
इससे भी ज़्यादा मज़ेदार है इस एग्रीगेटर का आफ़र, कि वह 100 ब्लॉगर्स को अपने यहां पोस्ट का लिंक देने का अधिकार भी दे रहा है। जिसका आधार ‘पहले आओ पहले पाओ‘ की नीति है। लोग आ रहे हैं और जुड़ रहे हैं।
इस एग्रीगेटर को शायद कम पसंद किया जाए क्योंकि जो लोग ब्लॉगिंग को एक नशे की तरह लेते हैं या ब्लॉग जगत को अपनी धड़ेबंदी से तबाह किए हुए हैं वे लोग तो ‘हमारीवाणी‘ पर भी बहुत देर से आए और बहुत जल्दी उसकी निष्पक्षता का काम तमाम कर दिया। ये लोग हरगिज़ अपना ईमेल आईडी देकर इस ‘निष्पक्ष एग्रीगेटर‘ से जुड़ने वाले नहीं हैं।
यहां कोई ऐसी लिस्ट नहीं है जो वोट और कमेंट के आधार पर ब्लॉगर्स को अपना क़द ऊंचा दिखाने के लिए मजबूर या प्रेरित करती हो। यहां तो पाठकों की संख्या भी नहीं दर्शाई जाती। दर्शाई जाने वाली चीज़ केवल पोस्ट है और पोस्ट यहां जगमगा रही है मोटे मोटे अक्षरों में। ये मोटे अक्षर इसलिए आते हैं क्योंकि यहां पोस्ट डाली जाती है ‘क्रिएट ए लिंक‘ पर क्लिक करके।
आप भी इस नए अनुभव में शरीक हों, आपको मज़ा ज़रूर आएगा, अगर आप किसी गुटबाज़ी के शिकार नहीं हैं तो ...।
यह अवसर आपके अन्तर्मन का सच भी आपके साथ साथ सबके सामने ले आएगा।
अब आप सोच रहे होंगे कि
मैं इधर जाऊं या उधर जाऊं ?
ख़ैर, मुबारक हो मासूम साहब को और उनसे जुड़ने वालों को !!!
चिट्ठा जगत पे आयें और अपने ब्लॉग को जोडें ब्लॉग संसार से.
vah keya aapne kamal kar deya
जवाब देंहटाएंजो भी कहिये पर पत्रकारों की विश्वसनीयता खत्म होती जा रही है ..
जवाब देंहटाएंपत्रकार शेरदिल भी हैं जैसे कि जेडे और सत्ता के दलाल भी हैं। जिसके जैसे हालात हैं और जैसा चरित्र है वैसा ही वह है।
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