मायावती-बिल्डर साठगांठ पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, 50000 परिवारों को झटका
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में किसानों की जमीन लेने से जुड़े इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। शीर्ष अदालत ने इस जमीन को सात बिल्डरों को दिए जाने पर भी रोक लगाई है। कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी पर बिल्डरों से साठगांठ होने का आरोप लगाते हुए अथॉरिटी पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को निर्देश दिए हैं कि वो किसानों और गांववालों की जमीन लौटा दे। अदालत ने कहा कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने बिल्डरों से साठगांठ कर सार्वजनिक उद्देश्य के लिए पहले तो किसानों की जमीन खरीदी फिर इन्हें नियमों का उल्लंघन करते हुए बिल्डरों को ट्रांसफर कर दिया।
जस्टिस जी एस सिंघवी और जस्टिस ए के गांगुली की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। बेंच के मुताबिक अथॉरिटी से सरकार की मंजूरी मिलने से पहले ही इस जमीन को कुछ बिल्डरों को आवंटित कर दिया। अदालत ने कहा है कि वह अपने इस फैसले की वजह का ब्यौरा बाद में देगा।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा के साहबेरी गांव में किसानों से ली गई 156 हेक्टेयर ज़मीन लौटाने के आदेश दिए थे जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और रियल एस्टेट डेवलपर्स और बिल्डरों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से ग्रेटर नोएडा, नोएडा एक्सप्रेस वे में बन रहे 50 हजार फ्लैट खरीदने वाले परिवारों की जान सांसत में आ गई होगी।
नोएडा एक्सप्रेस वे और ग्रेटर नोएडा उन लोगों के लिए घर का सपना पूरा कर रहा है जो दिल्ली में महंगी जमीन नहीं खरीद सकते। 2010 के आखिर तक एनसीआर के समूचे प्रॉपर्टी मार्केट में नोएडा की हिस्सेदारी करी
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