2जी घोटाला: अब चिदंबरम पर गिरेगी गाज
डीईए का प्रजेंटेशन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी और उनके पूर्ववर्ती, गृहमंत्री पी. चिदंबरम के बीच कड़वाहट और बढ़ा सकता है। डीईए ने कहा है कि 9 जनवरी 2008 को वित्त मंत्रालय के एक अतिरिक्त सचिव ने स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के लिए नीलामी प्रक्रिया का अनुसरण करने का सुझाव दिया था। 15 जनवरी को वित्तमंत्री ने प्रधानमंत्री को नोट भेजा था कि सरकार भविष्य के सभी स्पेक्ट्रम आवंटन नीलामी प्रक्रिया के जरिए ही करे। पुराने मामलों को बंद अध्याय माना जाए। साथ ही अतिरिक्त सचिव के सुझाव का पत्र भी भेजा गया था।
राजा के साथ बैठक में क्या हुआ?
2जी स्पेक्ट्रम मुद्दे पर 29 मई 2008 को तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम और तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा की बैठक हुई थी। कथित तौर पर इस मुलाकात में स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया को लेकर चर्चा हुई थी। इस बैठक के मिनिट्स नहीं रखे गए, जिस पर कई सवाल उठ रहे हैं। चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने राजा से मतभेदों को दूर करने, लाइसेंस नियमों, विनियमों और प्रक्रिया की उपेक्षा करने के मुद्दे को ढंकने पर चर्चा की।
पीएसी ने भी खड़ा किया था कठघरे में
प्रधानमंत्री को भेजे गए नोट को लेकर चिदंबरम संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के निशाने पर आ चुके हैं। पीएसी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में कहा था कि जनता के पैसे का संरक्षक वित्तमंत्री को इस मामले में जांच करवाने की सलाह देनी थी। लेकिन इसके स्थान पर मुद्दे को खत्म समझे जाने की सिफारिश कर दी। चिदंबरम ने इस आरोप पर कहा था कि उनके नोट का गलत मतलब निकाला गया है। उन्होंने इंट्री फीस के लिए यह सुझाव नहीं दिया था बल्कि मात्र स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क पर यह बात कही थी।
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