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उन्होंने मुंबई में शनिवार को कहा, ‘सूचना के अधिकार जैसे कानून सिर्फ सिविल सोसाइटी के दबाव की वजह से पास हुए थे। अगर हमारी कोशिशें (सरकार पर लोकपाल को लेकर दबाव) ब्लैकमेलिंग हैं, तो यह मैं ज़िंदगी भर करता रहूंगा।’
अन्ना ने कहा, ‘16 अगस्त से शुरू हो रहा अनशन देश में आज़ादी का दूसरा आंदोलन साबित होगा। वे कहते हैं कि बाबा रामदेव के अनशन की तरह वे मेरे आंदोलन को भी कुचल देंगे। क्या यह महात्मा गांधी और कामराज की कांग्रेस है? यह लोकतंत्र नहीं है, बल्कि तानाशाही है। मैं गोलियां और लाठियां खाने को तैयार हूं।’ उन्होंने कहा कि जब सरकार लोगों की उम्मीदों के मुताबिक काम नहीं करती है तो दबाव बढ़ना स्वाभाविक है। लोकपाल विधेयक संसद में आठ बार आ चुका है, लेकिन उससे अब तक कुछ भी हासिल नहीं हो सका है।
सिब्बल ने लोकपाल ड्राफ्ट समिति में शामिल सिविल सोसाइटी के लोगों को चुना हुआ नहीं माना था। सिब्बल की इस टिप्पणी पर हजारे ने कहा, ‘सिविल सोसाइटी मालिक है। मंत्री और नौकरशाह नौकर हैं।’ गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता ने कपिल सिब्बल की उस आलोचना को खारिज कर दिया, जिसमें केंद्रीय मंत्री ने लोकपाल बिल के मुद्दे पर सिविल सोसाइटी की आलोचना की थी। उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार को याद दिलाया कि पंचायत राज व्यवस्था के लिए संविधान में संशोधन के लिए राजीव गांधी ने देश के किसानों से उनकी राय ली थी। हजारे के मुताबिक राजीव गांधी ने देश के पांच लाख गांवों के प्रधानों को चिट्ठी लिखकर इस बारे में पूछा था।
इससे पहले हजारे ने लोगों से अपील की थी कि वे 15 अगस्त रात आठ बजे से नौ बजे के बीच अपने घरों में लाइट बुझाए रखें। हजारे ने इस अभियान के बारे में कहा, ‘आज़ादी के 62 सालों के बाद भी देश अंधेरे में है। हम 62 साल पहले अंग्रेजी हुकूमत से तो आज़ाद हो गए थे, लेकिन भ्रष्टाचार और राजनेताओं के अत्याचार से अब भी हमारी मुक्ति बाकी है। यह अभियान उसी अंधेरे के विरोध में है।’
फेसबुक पर अभियान को समर्थन
भ्रष्टाचार के विरोध में हजारे के एक घंटे तक बत्तियां बुझाने के अभियान को फेसबुक जैसी सोशल वेबसाइटों पर भी समर्थन मिल रहा है। इसके लिए फेसबुक पर एक पेज तैयार किया गया है और लोगों से इस अभियान का समर्थन करने की अपील की गई है।
100 सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लिया हजारे के सर्मथन का संकल्प
देश भर में चल रहे अलग-अलग आंदोलनों में बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे करीब 100 सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मजबूत लोकपाल कानून बनवाने की कोशिश कर रहे अन्ना हजारे का समर्थन करने का संकल्प लिया। दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में इकट्ठा हुए इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह ‘टीम अन्ना’ नहीं बल्कि ‘टीम इंडिया’ है।
नई दिल्ली में मौजूद गांधी शांति प्रतिष्ठान में दो दिनों तक चले विचार-विमर्श के बाद कार्यकर्ताओं ने लोकपाल के हक देश के दूरदराज के इलाकों में लोकपाल की मुहिम ले जाने का फैसला किया है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि ऐसा करने से अन्ना हजारे के लिए बड़ा समर्थक वर्ग तैयार किया जा सकेगा। इस बैठक में हिस्सा लेने वाले प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं में पीवी राजगोपाल, मधु किश्वर, मेधा पाटकर, आर गीता, राजेंद्र सिंह, योगेंद्र यादव और मयंक गांधी शामिल हैं।
अब तक क्या हुआ है
अप्रैल में मजबूत लोकपाल की मांग को लेकर हजारे दिल्ली के जंतर मंतर पर आमरण अनशन पर बैठे थे। कुछ दिनों की हड़ताल के बाद सरकार हजारे की मांग के आगे झुक गई और उसने सिविल सोसाइटी के सदस्यों और सरकार की तरफ से पांच-पांच प्रतिनिधियों को मिलाकर दस सदस्यों वाली लोकपाल ड्राफ्ट कमिटी गठित की। इस कमिटी में शामिल सिविल सोसाइटी और सरकार के प्रतिनिधियों ने अलग-अलग सिफारिशें तैयार की हैं। सरकार का कहना है कि वह दोनों ड्राफ्ट संसद में मंजूरी के लिए पेश करेगी। इस बीच, केंद्र विभिन्न राजनीतिक दलों से लोकपाल के लिए प्रस्तावित ड्राफ्ट पर चर्चा कर रहा है। वहीं, सिविल सोसाइटी के सदस्य भी अपने ड्राफ्ट के साथ पार्टियों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं
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