कन्या में शनि की सीधी चाल से अच्छी बारिश
कन्या राशि एवं हस्त नक्षत्र में मार्गी बनने की स्थिति शुभ फलदायक रहेगी। कन्या राशि में प्रवेश के साथ 15 नवंबर 2011 तक मार्गी रहने के बाद तुला राशि में प्रवेश करेगा। ज्योतिषाचार्यो का कहना है कि किसी भी राशि में आता व जाता हुआ शनि सुखद व शुभ फलदायक होता है।
प्रकृति में इसे अच्छा माना गया है। शनि की सीधी चाल से अच्छे बारिश के योग बनते है। शनि पूजन से सुख- समृद्धि प्राप्ति मानी गई है। पंचग्रह का योग इस दिन होने से मंगल अपनी राशि में से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करेगा। साथ ही वहां सूर्य, बुध, शुक्र व केतु से पंचयुति संगम का निर्माण करेंगे। अर्थात पांच ग्रह एक ही राशि पर विराजित होंगे। आचार्य धीरेंद्र के अनुसार हवा के तेज झंझावत से फसल को नुकसान का अंदेशा बना रहेगा।
सूर्य का पुत्र माना गया है शनि को: शनि सौरमंडल में स्थापित एक ग्रह है जो धीरे-धीरे चलने वाला होता है। शनिदेव को सूर्य व छाया का पुत्र माना गया है। शनि देव को न्याय का देवता भी कहा जाता है। ज्योतिष में नौ ग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु व केतु) में शनि को विषयदात्मक माना गया है। ज्योतिष में भी शनि का विशेष महत्व माना गया है।
सौरमंडल की स्थिति: सौरमंडल में शनि सबसे अधिक दूरी पर स्थित है। पं. अमित जैन के अनुसार दूरी अधिक होने से इसकी चमक नजर आती है। शनि का व्यास 7 लाख 56 हजार मील है। सूर्य ग्रह से इसकी दूरी 88600000 करोड़ मील है। यह ग्रह अपनी धूरी पर 10 घंटे 14 मिनट भ्रमण कर सूर्य की परिक्रमा लगाता है। इसे सूर्य के चक्कर लगाने में 1.0759 1/4दिन अर्थात 30 वर्ष का समय लगता है। यह 30 अंश पर भ्रमण करता हुआ 13 जून को 16 अंश पर कन्या राशि में रहेगा।
कष्टकारक के साथ फलदायक भी: शनि कष्टकारक ग्रह है। शनि शुभ होने पर भौतिक जीवन में श्रेष्ठता और आर्थिक शांति भी देता है।
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