अब तो
हद से ज्यादा
उकता चुके हैं
इस बेसबब
जिंदगी सी हम
सोचते है
ठुकरा ही दें
इस
बेदिली से
जी जा रही जिंदगी को हम ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
जिंदगी में कुछ लम्हे ऐसे भी आते है,जब ज़िन्दगी बेजार लगने लगती है.उन लम्हों को बेहतरीन अल्फाज़ में बयां किया है.बहुत खूब अख्तर भाई .
जवाब देंहटाएंबचा के रखिये किसी के काम आएगी
जवाब देंहटाएंज़िंदगी कि खूबसूरती को भी महसूस करें. और हम भी तो हैं ना भाई
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