आपका-अख्तर खान

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22 जून 2011

उकता चुके हैं

अब तो 
हद से ज्यादा 
उकता चुके हैं 
इस बेसबब 
जिंदगी सी हम 
सोचते है 
ठुकरा ही दें 
इस 
बेदिली से 
जी जा रही जिंदगी को हम ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

  1. जिंदगी में कुछ लम्हे ऐसे भी आते है,जब ज़िन्दगी बेजार लगने लगती है.उन लम्हों को बेहतरीन अल्फाज़ में बयां किया है.बहुत खूब अख्तर भाई .

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  2. बचा के रखिये किसी के काम आएगी

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  3. ज़िंदगी कि खूबसूरती को भी महसूस करें. और हम भी तो हैं ना भाई

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