कोटा राजस्थान में केनाल रोड स्थित गुजरती समाज में रविवार को दोपहर दो बजे सुचना के अधिकार पर भाई अभिषेक मलेठी का कार्यक्रम है .....उनका इस कार्यक्रम के आयोजन के पीछे कोटा की जनता को इस कानून के प्रति जाग्रत करना है भाई अभिषेक मलेठी के साथ टीवी ९९ चेनल भी मदद गार है ..हमारी हार्दिक शुभकामनाये है के भाई अभिषेक और उनके साथियों ने इस कार्यक्रम को लेकर जो ताना बाना बुना है जो उम्मीदें जगाई हैं खुदा उसे पूरा करे .................१५ जून २००५ को प्रत्येक लोक अधिकारी के कार्यकाल में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के संवर्धन के लियें निरंकुश अधिकारीयों पर अंकुश लगाने और जनता को जानने का अधिकार देने के लियें इस कानून का गठन किया गया था लेकिन अफ़सोस है के इस कानून को भी लोकपाल बिल की तरह सियासी लोगों ने कमज़ोर बनाया है और हालत यह हैं के इस कानून में उलन्ग्घन पर केवल अधिकतम २५ हजार रूपये जुर्माने का प्रावधान रखा गया है जेल का कोई प्रावधान नहीं है और इसीलियें इस देश में इस कानून का सजा का डर नहीं होने से मजाक उड़ाया जा रहा है ...इस अधिनियम को लागू करने वालों की हत्या की जा रही है उनका गला दबाने के लियें हमले हो रहे हैं अधिनियम को लागू करते वक़्त आदेशित किया था की अधिनियम के लागू होने के १२० दिन बाद सभी सरकारी अर्ध सरकारी विभाग और निकाय विभाग के आमद खर्च और विकास कार्यों सहित सभी प्रकार की सूचनाये अख़बार और बोर्ड डिस्प्ले के माद्यम से बिना मांगे जनता को देंगे इंटरनेट पर जारी करेंगे लेकिन अफ़सोस यह है के कोनसा काम कितने रुपए का करवाया , इसकी कोलिटी की जांच कब हुई , किस कर्मचारी को किस काम पर लगा रखा है इसका वेतन और भत्ते कितने हैं इसने कितना काम किया ..विभाग का बजट कितना है और किस किस मद में खर्च किया जायेगा इसकी समस्त जानकारी अधिकारी को देना होगी किन्तु अफ़सोस की बात है के किसी भी विभाग द्वारा खुद ऐसे कोई जानकारी नहीं दी जा रही है उलटे जानकारी मांगने पर भी जानकारी देने में रोड़े अटकाए जा रहे है ...इस कानून में सुचना आयुक्त की नियुक्ति का प्रावधान है लेकिन देश के सबसे बड़े राज्य में दस सुचना आयुक्तों का प्रावधान होने पर भी केवल एक सुचना आयुक्त नियुक्त है देश में भी एक सुचना आयुक्त है जो पुरे देश और राज्य की शिकायतों का निस्तारण नहीं कर पा रहे हैं इतना ही नहीं नियम कायदे और अधिनियम के तहत सुचन चाहने का प्रारूप सार्वजनिक रूप से लोगों की पहुंच से दूर किया है जबकि जिला कलेक्टर या जिला परिषद या नगर निगम या फिर सुचना केंद्र में इन व्यवस्थाओं को क्या जाना चाहिए तो दोस्तों जो अधिनयम है वोह इस देश के लियें ना काफी है जब तक इस अधिनियम का उलन्ग्घन करने वालों और इसकी उपेक्षा करने वालों को सख्त सजा का प्रावधान नहीं होगा और आम आदमी को इसकी सजा के लियें मुकदमा दर्ज करने का अधिकार नहीं मिलेगा तब तक इस अधिनियम का होना और नहीं होना बेकार हैं ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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