दुनिया के
झंझट से हम
तन्हाई में
जाकर बेठे थे ...
यादें बन कर
यहाँ भी
सताने आ गये ....
जब भी
बंद करता हूँ
आँखे
ऐसा लगता है
तुम आ गये
और खोलता हूँ
तो ना जाने क्यूँ
तुम्हारे फुर्र से
उढ़ जाने का गम
रुला देता हैं ................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
आने और फुर्र से
जवाब देंहटाएंउड़ जाने के चक्कर में
एक झंझट को भूलते
दूसरे में फंसते रहते