आपका-अख्तर खान

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02 जून 2011

तुम क्यूँ ढूंढते हो खुद अच्छे बन जाओ .........

विश्व में 
तुम क्यूँ 
किसी 
अच्छे आदमी की 
खोज करते हो 
क्यूँ कहते हो 
के विश्व में 
की अच्छा 
आदमी नहीं है ..
क्यूँ खुद तुम 
अच्छे नहीं बन जाते 
ताकि किसी 
दुसरे की 
अच्छे आदमी की 
खोज तो खत्म 
तुम तक 
पहुंचने पर हो जाये ..
इसीलियें दूसरों को 
अच्छा देखने की कोशिश में 
अपना वक्त बर्बाद न करों 
खुद ही अच्छे बन कर 
उदाहरण पेश कर डालो ...............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

5 टिप्‍पणियां:

  1. par updesh kushal bahutere....sir yahi duniya hain...ham dusre ke aur unglee deekhate samay bhul jate hain ki teen ungli khud ke taraf hoti hai....

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  2. सारगर्भित पोस्ट , आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. akhtar ji... bhut bhut sukriya.. mera hausla badane ke liye... aur aap ne rachnaao ko pada aur sarhana ki... bhut bhut dhanaywaad... main to sirf ek kosish karti hu jindgi ke anubhavo,ehsaaso ko shabdo me dhalne ki..ye kosish tab sarthak ho jati hai jab aap jaise anubhavi poet us rachna sarhana karte hai... bhut bhut dhanyawaad...

    जवाब देंहटाएं

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