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16 जून 2011

गडकरी को कोंन समझाये ...

दोस्तों देश की एक बढ़ी पार्टी के बढ़े नेता जी हां बढ़े नेता इसलियें के पद उनके पास है अब वोह इस पद पर पर केसे आये सारा देश जानता है ..यह वाही गडकरी है जिनकी जुबां इनका साथ नहीं देती साल में कई बार फिसल जाती है और तहज़ीब और संस्क्रती के खिलाफ ज़हर उगल कर भारतीय संस्क्रती और मानसम्मान को ठेस पहुंचाती है ..कभी यह अपनी लम्बी और बेतुकी जुबान से महामहिम राष्ट्रपति का अपमान करते हैं तो कभी यह इसी जुबान से प्रधानमंत्री जी के लियें बकवास करते हैं तो यही गडकरी कभी मनमोहन को रिमोट से चलाने वाली कोंग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया जी के लियें ज़हर उगलते हैं ..गडकरी जी मानसिक रोगी हैं या नहीं यह तो पता नहीं लेकिन राष्ट्रभक्त और ईमानदार तो नहीं है इनके बच्चे की शादी पुरे देश ने देखी है जिसमें अनावश्यक खर्च देश हित में नहीं था ,यह वाही गडकरी हैं जिन्होंने इनके मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को दिल्ली बुलाकर मुख्यमंत्री पद से हट जाने का आदेश दिया लेकिन येदियुरप्पा ने इन्हें अंगूठा दिखाया और इनके आदेश का उलन्न्घन कर आज भी मुख्यमंत्री बने हैं .यह वाही गडकरी हैं जो वसुंधरा सिंधिया को राजस्थान से अलग करना चाहते थे लेकिन अपने दम पर वोह फिर जीत कर आई हैं ..इन गडकरी साहब के बारे में अब तो आप समझ ही गए होंगे इनकी देश के लियें दोहरी सोच है एक तो अपनी पार्टी के लोगों के लीयें जिन्हें आरोपित होने पर भी मुख्यमंत्री बने रहने का हक है और एक दूसरी पार्टी के लोग जिनके लियें इन्हें कुछ भी अनर्गल बकवास करने का हक है ..अब बताओ गडकरी जी जिनकी इनकी अपनी पार्टी में कोई नहीं सुनता तो फिर यह कोंग्रेस को केसे पछाड़ पायेंगे इसलियें अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है भाजपा को शुद्धिकरन कर देश को बचाने के लियें गडकरी जी को राष्ट्रहित में दरकिनार करना चाहिए ....क्यूँ सही कहा न मेने ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

  1. गडकरी की अजगरी जुबान कुछ अधिक चलने लगी है कहते हैं समुद्र मे एक मचली है जब रोती है तो कुछ अनर्थ होता है ये बिलकुल वैसी ही आवाज़ है। हिन्दूधर्म की दुहाई देने वाले ही उसके संस्कार भूल गये? शर्मनाक है गडकरी का आचरण।

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  2. आपकी रचना सात्विक सत्य है पर उस श्रेणी में और और भी लोग हैं |यहाँ भी आयें www.akashsingh307.blogspot.com

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  3. मेरे हिसाब से तो गडकरी मानसिक रूप से बीमार नहीं है, पर दूसरे लोगों को मानसिक रूप से बीमार ज़रूर कर देंगे. खैर ये इनका दोष नहीं है ये जिस कुर्सी पर बैठें हैं वहाँ पर बैठने के बाद ऐसा ही होता है इतिहास गवाह है, उदहारण के तौर पर अडवाणी, राजनाथ याद कर सकतें हैं.

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